Saturday, May 18, 2024
बस्ती मण्डल

मनुष्य स्वयं अपने भाग्य का निर्माता है – स्वामी विवेकानंद

संतकबीरनगर। राजकीय कन्या इंटर कॉलेज खलीलाबाद संतकबीरनगर की व्यायाम शिक्षिका सोनिया मैडम ने स्वामी विेकानन्द के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि भारत में इस समय ज्यादा युवा वर्ग है हम सभी युवा वर्ग को बताना चाहती हूं कि हर युवा वर्ग को स्वामी विवकानन्द जी के विचारों को आत्म सात करना चाहिए।हर साल स्वामी जी का जन्म दिन
राष्ट्रीय युवा दिवस 12 जनवरी को मनाया जाता है।1984 में भारत सरकार ने से राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में घोषित किया और 1985 से यह दिन राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। आधुनिक भारत के निर्माता तथा पूरी दुनिया में असाधारण प्रतिभा का लोहा मनवाने वाले और भारत का नाम विश्व शिखर पर लाने वाले स्वामी विवेकानंद की याद में राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है। विवेकानंद एक महान इंसान थे जो हमेशा देश की ऐतिहासिक परम्परा बनाए रखने तथा नेतृत्व करने के लिए युवा शक्ति पर विश्वास करते थे।
स्वामी विवेकानंद का जन्म 1863 में कोलकाता में हुआ। इनका वास्तविक नाम नरेंद्र नाथ दत्त था और उनके गुरु श्री रामकृष्ण परमहंस थे इनसे ही इन्होंने शिक्षा ली और पूरे विश्व में अपने गुरु के विचार को प्रचारित एवं प्रसारित किया । स्वामी विवेकानंद ने अपने भाषण में भारत, हिंदू धर्म के विचारों को दुनिया के सामने रखा था। अपने जीवन काल में उन्होंने दुनिया के कई देशों का भ्रमण किया तथा दुनिया में योग और वेदांत को प्रचारित किया । उन्होने अपना पूरा जीवन समाज सेवा में समर्पित कर दिया। 1897 में उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की उनके द्वारा स्थापित किए गए रामकृष्ण मिशन को आज पूरी दुनिया में जाना जाता है। यह एक भारतीय सामाजिक संगठन है जिससे कर्मयोग के सिद्धांत, धार्मिक अध्ययन, तथा आध्यात्मिकता को पूरी दुनिया में फैलाया जाता है। 11 सितंबर 1893 में जब अमेरिका के संसद में स्वामी विवेकानंद ने अपने भाषण में “अमेरिका के भाइयों और बहनों” के संबोधन से किया तो पूरे 2 मिनट तक आर्ट इंस्टीट्यूट आफ शिकागो में तालियां बजती रही यह दिन हमेशा हमेशा के लिए इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया ।स्वामी विवेकानंद जी ने अपने जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण उत्कृष्ट सराहनीय कार्य किए 1 मई 1897 में कोलकाता में रामकृष्ण मिशन 9 दिसंबर 1898 में गंगा नदी के किनारे रामकृष्ण मठ की स्थापना किया। स्वामी विवेकानंद के विचारों को हम अपने जीवन में आत्मसात करना चाहिए उन्होंने कहा था
व्यक्ति को तब तक मेहनत करते रहना चाहिए जब तक वह अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच जाता अगर कोई व्यक्ति अपने लक्ष्य को पाने के लिए कड़ी लगन तथा मेहनत करेगा तो कामयाबी अवश्य मिलेगी ।
शिक्षा द्वारा मनुष्य में मानव प्रेम, समाज सेवा, विश्व चेतना, तथा विश्व बंधुत्व के गुणों का विकास होता है। उठो और जागो और तब तक तब तक मत रुको जब तक तुम अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं करते ।
इन विचारों को अपने जीवन में आत्मसात कर हम अपना जीवन सार्थक बना सकते हैं।