Thursday, July 4, 2024
बस्ती मण्डल

यूके स्ट्रेन से संक्रमित की पहचान व रोकथाम पर होगा विशेष जोर

बस्ती। यूनाइटेड किंगडम (यूके) स्ट्रेन को देखते हुए यूरोप से आने वाले संक्रमितों की पहचान कर इसकी रोकथाम पर स्वास्थ्य विभाग का मुख्य जोर है। केंद्र व राज्य सरकार की गाइड लाइन के अनुसार कार्य किया जा रहा है। यूरोप से आने वाले यात्रियों की पहचान कर उनकी जांच की जा रही है। यह कहना है आई डीएस पी के नोडल ऑफिसर डॉ. सीएल कन्नौजिया का।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय कार्य बल ने यूके में पैदा वायरस के नए रूप को देखते हुए कोविड-19 की जांच, उपचार और निगरानी की रणनीतियों पर विचार-विमर्श किया है। आईसीएमआर ने नीति आयोग के सदस्य प्रो. विनोद पॉल और स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग में सचिव और आईसीएमआर के महानिदेशक प्रो. बलराम भार्गव की सह अध्यक्षता में कोविड-19 पर बने राष्ट्रीय कार्य बल (एनटीएफ) की एक बैठक बुलाई थी। बैठक में एम्स के निदेशक प्रो. रणदीप गुलेरिया; भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई); निदेशक, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी); स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर के अन्य प्रतिनिधियों के साथ-साथ स्वतंत्र विषय विशेषज्ञों ने भी भाग लिया।

एनटीएफ का मुख्य उद्देश्य हाल में यूके में वायरस का नया रूप सामने आने की खबरों को देखते हुए सार्स-सीओवी-2 के लिए परीक्षण, उपचार और निगरानी की रणनीतियों में प्रमाण आधारित संशोधनों पर चर्चा करना था। वायरस के इस रूप में गैर समानार्थी (अमीनो एसिड में बदलाव) परिवर्तन, छह समानताएं (गैर अमीनो एसिड बदलाव) और तीन विलोपन हैं। आठ परिवर्तन (म्यूटेशंस) स्पाइक (एस) जीन में मौजूद हैं, जो एसीई-टू रिसेप्टर्स की बाइंडिंग साइट (रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन) का वहन करते हैं, जो मानव श्वसन कोशिकाओं में वायरस के प्रवेश का बिंदु है।

उपचार में बदलाव की नहीं होगी जरूरत

डॉ. कन्नौजिया ने बताया कि एनटीएफ ने निष्कर्ष निकाला कि इस स्ट्रेन में परिवर्तन को देखते हुए वर्तमान उपचार व्यवस्था में बदलाव की कोई जरूरत नहीं है। इसके अलावा चूंकि आईसीएमआर ने सार्स-सीओवी-2 के परीक्षण के लिए दो या ज्यादा जीन जांचों की वकालत करती रही है, इसलिए परीक्षण की वर्तमान रणनीति का इस्तेमाल होते हुए संक्रमित लोगों के बच निकलने की संभावना कम ही है।