Wednesday, July 3, 2024
बस्ती मण्डल

किसान आंदोलन वास्तव मे व्यापारियों का आंदोलन है-प्रो०सुरेन्द्र दुबे

सिद्धार्थनाग। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु तथा महाराणा प्रताप पी जी कॉलेज जंगल धूसन के राष्ट्रीय सेवा योजना के संयुक्त तत्वावधान में नया कृषि सुधार कानून : किसान आंदोलन का औचित्य तथा वर्तमान परिप्रेक्ष्य विषय पर ऑनलाइन व्याख्यान के अवसर प्रबोलते हुए मुख्य अतिथि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक डॉ० ए के सिंह ने कहा कि कृषि सुधार कानून किसान हित में है । किसान अपने उत्पादन का उचित और बढ़िया मूल्य प्राप्त कर सकेगा ।इस कानून से क्रिसजी क्षेत्र में भी अब अन्य क्षेत्रों की तरह रोजगार तथा व्यापार के अवसर की संभावना अधिक हो जाएगी । एक देश एक बाजार की तरफ देश बढ़ गया है । किसान के पास अपना उत्पाद बेचने का अनेक विकल्प मिल जाएगा । इस कानून से गांवों से हो रहे पलायन भी रुकेगा । कृषि उत्पादन पहले की अपेक्षा बढ़ा है । सरकारी मंडी के साथ प्राइवेट मंडियों की भी अब बहुत आवश्यकता है किसानों के उत्पादन को वेचनेके लिए । इस कानून का विरोध पंजाब और हरियाणा के कुछ व्यापारी विशेष कर रहेहै क्योकि उनकी मंडी इस कानून से बंद हो रही है । कृषि क्षेत्र में प्राइवेट सेक्टर के आने से किसानों को बजट सहूलियत हो जाएगी । फल और दूध की तरहब चावल और गेहूं भी दूसरे प्रदेशों में किसान बेंच सकता है । सभी को खुले बाजार व्यवस्था का स्वागत करना चाहिए । उन्होंने आगे कहा कि कांट्रेक्ट खेती से भिकिसन को घबराने की जरूरत नही है । इस कानून में किसान को किये गए करार को जरूरत पड़ने पर तोड़ने का अधिकार है , व्यापारी को यहावसर नही है । पहले व्यापारी आम इत्यादि फसलों का करार तोड़कर भाग जाते थे । अब लिखित करार होने से किसान सुरक्षित होगा । वास्तव में यह कानून किसान और समाज हित मेंहै । अब किसान भी अन्य व्यापारियों की तरह अपने वस्तु का सर्वाधिक मूल्य सीधे प्राप्त करसकेगा ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सुरेन्द दुबे ने कहा कि किसान आंदोलन वास्तव में व्यापारियों का आंदोलन है । जिस प्रकार से खुली मंडी की अनुपलब्धता से किसान दलालों और विचाओलियों के हाथ का शिकार हो गया था अब उसे इनसे आजादी मिल जावेगी । नया कृषि कानून दलाली व्यवस्था को तोड़ने वाला कानून है । इस कानून से किसान अपने उपज को अपने इच्छा अनुसार बेंच सकता है । नब्बे के दशक के बाद यह पहला अवसर है जब किसान को भी अन्य उद्योग की तरह बाजार मिलने जा रहा है । सरकारी और प्राइवेट दोनो मंडियों की उपलब्धता से किसान की खुशहाली होगी । किसानों की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करनेवाले इस कानून का पुरजोर स्वागत किया जाना चाहिए । कुछ लोग अपने निजी हितों के लिए इसे किसान आंदोलन का नंदी रहे है । वास्तवमे यह किसान का संकट नही है विचौलियों का संकट होने जो रहा है ।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के प्रधान वैज्ञानिक डॉ०संजय सिंह ने कहा कि नए कृषि कानून में सामूहिक खेती की व्यवस्था छोटे किसानों केलिए वरदान सावित होगा । अब किसान मिलकर अधिक उत्पादन कर अपना माल कहीं भी बेच सकतें है । जैविक खेती के द्वारा और भी लाभ काम्य जा सकता है । अभी तक समर्थन मूल्य का अधिक फायदा किसानो कों नही मिल पा रहा था । उत्तम बीज , जैविक खाद और खुला बाजार किसानों केलिए सौगात लेकर आया है यह नया कृषि कानून ।
कार्यक्रम की प्रस्तावना करते हुए महाराणा प्रताप पी जी कालेज के प्राचार्य डॉ प्रदीप कुमार राव ने कहा कि शिक्षण संस्थानों का कार्य केवल पाठ्यक्रम पढ़ाना ही नही है बल्कि ऐसे सामाजिक सरोकार से भी जूझना पड़ेगा । तभी नए भारत की निमार्ण का रास्ता बन पाएगा । नए कृषि कानून के विरोध के साथ ही इसके समर्थन में आमजन सहित समाज के बुद्धिजीवी बर्ग को आगे आना चाहिए । यह समय युग परिवर्तन का है । ऐसे में सरकार के इसप्रकार के ऐतिहासिक कदम का समर्थन सार्वजनिक रूप से कोय जानहि राष्ट्र तथा किसान हित मे है ।
कार्यक्रम में आभार ज्ञापन विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक डॉ पूर्णेश नारायण सिंह ।