Monday, July 1, 2024
साहित्य जगत

ग़ज़ल

ख़ुद में इक वीराना रखना।
गुपचुप कुछ अफ़साना रखना।।

कौन बुनेगा चादर तेरी।
घर में ताना-बाना रखना।।

छलक न जायें आँखों में आ।
ग़म के लिए तहखाना रखना।।

यूँ ही शेर नहीं होते हैं।
दिल पागल दीवाना रखना।।

जीवन के पुर्जों की ख़ातिर।
आले में इक पाना रखना।।

“ग़ैर “मिलेगा बेशक तुमको।
मन्दिर आना-जाना रखना।।

अनुराग”ग़ैर”
जिला आबकारी अधिकारी
जनपद-अमरोहा (उ०प्र०)