Sunday, July 7, 2024
बस्ती मण्डल

पेट की आग मिटाने के लिए दुधमुंहे बच्चे को जमीन पर सुलाकर कर रही मजदूरी

कुदरहा/बस्ती। इसको देखकर महाकवि निराला जी की वह पंक्तियां याद आ गयी जब इलाहाबाद जाते समय बस से उतरकर लिखी थी- ” वह तोड़ती पत्थर, देखा मैने इलाहाबाद के पथ पर ,वह तोड़ती पत्थर “।

गरीबी और पेट की भूख इंसान को कौन कौन सा दिन दिखाती हैं
ऐसा ही एक नजारा कुदरहा विकास क्षेत्र के छरदही में देखने को मिला जहाँ श्रीरामजानकी मार्ग के चौड़ीकरण के लिए काम कर रही बिहार के पटना जिले की कटहरा गाँव की सरिता पत्नी शिव बिन महिला मजदूर इस कड़ाके की ठंड और घनघोर कोहरे में अपने 4 माह के दुधमुंहे बच्चे को सड़क के किनारे सुलाकर काम करती दिखाई दी। महिला ने बताया कि एक माह से इस ठंड़ मौसम में श्रीरामजानकी मार्ग पर इसी तरह बच्चे को सुलाकर काम कर रहें हैं।