Saturday, May 18, 2024
बस्ती मण्डल

आर्य समाज ने मनाई चन्द्रशेखर आज़ाद की पुण्यतिथि

बस्ती। *मैं आजाद हूँ, आजाद रहूँगा और आजाद ही मरूँगा* ऐसा उद्घोष करने वाले भारतमाता के अमर सपूत चन्द्रशेखर आजाद हर भारतीय के भीतर सदैव राष्ट्रभक्ति के रूपी हृदय बनकर धड़कते रहेंगे। आज उनकी जयंती पर स्वामी दयानन्द विद्यालय सुरतीहट्टा बस्ती के बच्चों द्वारा सामुहिक यज्ञ करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर ओम प्रकाश आर्य प्रधान आर्य समाज नई बाजार बस्ती ने बताया कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में देश के इस क्रांतिकारी वीर-सपूत की याद आज भी हमारी मन में जोश और देशप्रेम की एक लहर पैदा कर देती है। आर्य वीर दल ऐसे क्रांतिकारियों से प्रेरित होकर अपने विद्यार्थियों में देश प्रेम की भावना भरने का काम कर रहा है। शिक्षक अनूप कुमार त्रिपाठी ने बताया कि माता जगरानी देवी व पिता सीताराम तिवारी का यह लाल पढ़ाई में बहुत तेज तो नहीं थे पर देश को आजाद कराने के लिए हर पल इनके सीने में आग धधकती रहती थी। उसी से प्रेरित होकर ये अपनी मित्रमंडली में हमेशा योजना बनाते रहते थे। अचूक निशानेबाज आजाद ने अपना पावन शरीर मातृभूमि के शत्रुओं को कभी छूने नहीं दिया। क्रांति की जितनी योजनाएं बनीं सभी के सूत्रधार आजाद थे। 27 फ़रवरी 1931 के दिन चन्द्रशेखर आज़ाद अपने साथी सुखदेव राज के साथ बैठकर विचार विमर्श कर रहे थे कि तभी वहां अंग्रेजों ने उन्हें घेर लिया। चन्द्रशेखर आजाद ने सुखदेव को तो भगा दिया पर खुद अंग्रेजों का अकेले ही सामना करते रहे। अंत में जब अंग्रेजों की एक गोली उनकी जांघ में लगी तो अंग्रेजों के हाथों मरने की बजाय खुद ही गोली मारकर भारतमाता के आँचल में सदा के लिए सो गए। मौत के बाद अंग्रेजी अफसर और पुलिसवाले चन्द्रशेखर आजाद की लाश के पास जाने से भी डर रहे थे। यज्ञ कराते हुए गरुण ध्वज पाण्डेय ने बच्चों को बताया कि चंद्रशेखर आज़ाद को वेष बदलने में बहुत माहिर थे। वह रुसी क्रांतिकारियों की कहानी से बहुत प्रेरित थे। चन्द्रशेखर आजाद की वीरता की कहानियाँ आज भी युवाओं में देशप्रेम की लहर पैदा कर देती हैं। देश को अपने इस सच्चे वीर स्वतंत्रता सेनानी पर हमेशा गर्व रहेगा। कार्यक्रम में मुख्य रूप से अरविन्द श्रीवास्तव, नितीश कुमार, दिनेश मौर्य, अनीशा, आकृति द्विवेदी, प्रियंका, कुमकुम, साक्षी, श्रेया, राधा, रामारती देवी सहित विद्यालय के बच्चे सम्मिलित रहे।
गरुण ध्वज पाण्डेय।