Tuesday, July 2, 2024
बस्ती मण्डल

ग्रामसभा के पक्ष में दर्ज बीस बीघा जमीन पर सार्वजनिक उपक्रम स्थापित करने की मांग

बस्ती। सामाजिक कार्यकर्ता चन्द्रमणि पाण्डेय ‘सुदामाजी ’ ने मंगलवार को जिलाधिकारी को सम्बोधित ज्ञापन प्रशासनिक अधिकारी को सौंपा। मांग किया कि उनके पैतृक गांव सहराये में जो कि विकास खण्ड हरैया के संग्रामपुर ग्राम पंचायत में स्थित है ग्रामसभा के नाम दर्ज हो चुके बीस बीघे जमीन पर भूमाफियाओं का अनाधिकृत कब्जा है जिसे खाली कराते हुए उसपर सरकारी सार्वजनिक उपक्रम स्थापित करया जाय।
ज्ञापन में कहा गया है कि खानदान के ईश्वरी पाण्डेय जिनका कोई वास्तविक वारिस नहीं था किन्तु उनकी सेवा व क्रिया कर्म गांव के नरेन्द्र प्रसाद पाण्डेय व लालमनि पाण्डेय के परिवार ने किया था ईश्वरी की मृत्यु उपरांत सेवादारों के साथ तमाम अन्य लोगों ने जमीन पर अनाधिकृत कब्जा कर जमीन अपने हक में करने की अपील किया किन्तु तहसीलदार हरैया, चकबंदी अधिकारी तथा सीआरओ के यहां से उक्त लोगों का दावा खारिज कर जमीन ग्रामसभा के पक्ष में दर्ज करने का आदेश हुआ किन्तु कूटरचित साक्ष्यों व तत्तकालीन ग्रामप्रधान रामसरन यादव को अपने पक्ष में कर उनके बयान के आधार पर एसओसी बस्ती के यहां से रामप्यारे ने जमीन अपने नाम दर्ज करा लिया वो सम्पूर्ण जमीन पर अपना अधिकार जमाने लगे फलतः मेरे गांव के बाबा नहीं डीडीसी बस्ती के यहा वाद दाखिल कर साक्ष्य के जरिए सिद्ध किया कि उक्त जमीन का कोई वैध वारिस नहीं है अपने फैसले में डीडीसी बस्ती वीके त्रिपाठी ने कहा कि सरकारी सजरे के अनुसार रामप्यारे का ननिहाल फैजाबाद जिले के ओन्दहा गांव में है जबकि सरकारी सजरे के अनुसार मृतक ईश्वरी का कोई वैध वारिस नहीं था ग्रामप्रधान ग्रामसभा का रक्षक है न कि भक्षक उसे कलेक्टर की अनुमति के बिना ग्रामसभा के विरुद्ध बोलने का अधिकार नहीं है । सारे साक्ष्य कूटरचित है फलतः जमीन ग्रामसभा के पक्ष में दर्ज हो । इस आदेश के विरुद्ध रामप्यारे ने न केवल हाईकोर्ट में याचिका दायर कर स्थगन आदेश दिया अपितु उपकरण जमीन को चलते मुकदमे दौरान बेचना शुरू किया जिसके विरुद्ध उनके द्वारा न केवल समय समय पर अधिकारियों को सूचित किया अपितु अधिवक्ता के माध्यम से हाईकोर्ट से भी उक्त जमीन को ग्रामसभा के पक्ष में दर्ज कराने कार्य किया वर्तमान में उक्त जमीन खतौनी में भी ग्रामसभा के पक्ष में दर्ज हो चुका है ।
उपजिलाधिकारी हरैया के आदेश पर भूमाफियाओं के विरुद्ध हरैया थान्हे में मुकदमा भी दर्ज हुआ किन्तु अभी तक न तो भूमाफियाओं के विरुद्ध कोई कार्यवाही हुई न ही उनके द्वारा बोई फसल व बनाये मकान को ध्वस्त कर उक्त जमीन से उनका कब्जा ही समाप्त किया गया। ऐसे में बड़ा सवाल कि क्या भूमि प्रबन्ध समिति को जमीन आवंटन का ही अधिकार है अथवा उसकी सुरक्षा भी सुनिश्चित करनी चाहिए यदि सुरक्षा भी करनी चाहिए तो उक्त जमीन से अनाधिकृत कब्जा कब समाप्त होगा वह उस पर सरकारी सार्वजनिक उपक्रम कब स्थापित होगा जैसा कि पूर्व में प्रार्थी को अवगत कराया गया था कि उक्त जमीन औद्योगिक विकास प्राधिकरण को आवंटित कर दिया गया है करता यही भूमाफिया ही अपना उद्योग चलायेंगे।
उन्होने डीएम से मांग किया कि उक्त जमीन से तत्काल अनाधिकृत कब्जा समाप्त कराते हुए जनहित में सरकारी सार्वजनिक उपक्रम स्थापित कराया जाय।