Friday, July 5, 2024
बस्ती मण्डल

हे खग मृग हे मधुकर सैनी। तुम देखी सीता मृग नैनी।।

बस्ती। सनातन धर्म संस्था, बस्ती द्वारा बस्ती क्लब मे आयोजित श्री रामलीला महोत्सव में जयंत उद्धार व अनुसुइया उपदेश, सरभंग उद्धार, विराध वध, सुतीक्षण जी व मुनि अगस्त जी से भेंट, पंचवटी निवास, शुर्पणखा नासिका भंग, खर दूषण वध, सीता हरण, जटायु मरण, कबंध उद्धार करते हुये भगवान श्री राम जी भीलनी माता शबरी के आश्रम मे पहुँचते हैं और शबरी के जूठे बेर खाते हैं। बाल कलाकारों ने जयंत के पात्र को बड़े ही वास्तविक ढंग से प्रस्तुत किया।
भगवान की आरती के साथ शुरू हुयी लीला में गोपाल त्रिपाठी, वेद प्रकाश सिंह, संतोष श्रीवास्तव, अंशू उपाध्याय, ने आरती की।मंचन में रामलीला के व्यास राजा बाबू पाण्डेय द्वारा दी गई चौपाई-

सीता चरण चोंच हति भागा।
मूढ़ मंदमति कारन कागा।।

देल्ही एक्सीलेंस ऑफ स्कूल के बच्चों द्वारा अभिनीत लीला में इंद्र पुत्र जयंत द्वारा कौवे का वेश धर कर सीता जी के चरण पर चोंच मारने। इसके बाद माता अनुसुइया द्वारा सीता जी को पतिव्रता धर्म का पालन करने की शिक्षा दी गई , मार्ग मे विराध नामक असुर का वध भगवान द्वारा किया गया और सरभंग ऋषि का उद्धार करते हुये, सुतीक्ष्ण के साथ अगस्त जी के आश्रम मे विश्राम करते हैं अस्थियों के समूह को देखकर भगवान प्रण करते हैं की अब इस पृथ्वी को निशाचरों से हीन कर दूंगा।
वहाँ से अगस्त जी द्वारा सुझाये गये स्थान पंचवटी पहुंचते हैं जहाँ पर गिद्ध जटायु से भेंट करते हैं और पर्णकुटी बनाकर वहाँ निवास करते हुये वनवासी जनजातियों को अस्त्र, शस्त्र, कृषि, सुंदर जीवन शैली, स्वाव्लम्बन की शिक्षा देते हैं, उनका शारीरिक सौष्ठव व उनके कला कौशल को देख दंडकारण्य वन की अधिष्ठात्री रावण की बहन शूर्पणखा उनके समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखती है किन्तु एक पत्नी व्रत का संकल्प लिए मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम, लक्ष्मण व शूर्पणखा के बीच लम्बा संवाद होता है जिसपर लक्ष्मण जी द्वारा उसके नाक कान काट कर अप्रत्यक्ष रूप से रावण को चुनौती देते हैं की अब अधर्म का नाश होना सुनिश्चित हो चुका।
व्यास राजा बाबू पाण्डेय आगे की लीला का सूत्रपात करते हुये दर्शकों से कहते हैं की-

जिन्ह हरि भगति हृदयँ नहि आनी।
जीवत सव समान तेइ प्रानी।।
उन्होंने कहा की जो भी मनुष्य श्री हरि की भक्ति को अपने हृदय मे नही धारण करता वह जीवित रहते हुये भी शव के समान है।
आगे की लीला मे खर दूषण वध, सीता जी का हरण व जटायु मरण का दृश्य बहुत ही मार्मिक व सुंदर ढंग से यूनिक साइंस एकेडमी के बच्चों द्वारा प्रस्तुत किया गया। लीला का विश्राम शबरी जी के आश्रम मे नवधा भक्ति के ज्ञान के साथ हुआ।
अनुसुईया जी, शूर्पणखा, जटायु और शबरी के पात्रों ने लोगों का मन मोह लिया, सीता जी व भगवान श्री राम का साधारण मनुष्य की भांति विलाप सुन दर्शकों की आंसू आ गये।
प्रथम भाग में दिल्ली स्कूल ऑफ एक्सीलेंस जयंत कथा, अत्रि अनुसुइया प्रसंग, भगवान का प्रण, पंचवटी निवास
युवराज पाण्डेय श्री राम जी,
अनुभव लक्ष्मण, जयंत आयुष तिवारी, सूर्यांश सिंह कौवे, अक्षय वर्मा इंद्र, अभिषेक ब्रम्हा, अनमोल शिव, अनुकल्प नारद, ऋषभ श्रीवास्तव अत्रि मुनि, आयुष तिवारी अगस्त मुनि, अंकित सुतीक्ष्ण, हर्ष तालरेजा जटायु, अदवित शरभंग मुनि, अथर्व विराध,अर्णव ऋषि, आदित्य ऋषि, स्वास्ति सीता, आराध्या अनुसुइया, अथर्व यादव ऋषि, अभिषेक शुक्ला ऋषि
दूसरे भाग – शूर्पणखा नाशिका भंग से शबरी उद्धार तक की लीला में मीनाक्षी भारती राम, साक्षी यादव सीता, प्रियांशी पाठक लक्ष्मण, आरुषि उपाध्याय शूर्पणखा, वैभव पांडे खर, सुमित दूषण,तमन्ना तृष्णा,शौर्य रावण,अलीना जमाल दूत,अविरल साधु, क्रिस्टल प्रकाश, रुद्रांश, विजय,रवि दुबे, अंश, दरबारी, मीनाक्षी राक्षसी,
आयशा सिंह राक्षसी, शगुन मोदी मारीच, काव्या उपाध्याय जटायू, आयुष शुक्ला कबंध, आकांक्षा पटेल शबरी, यश नारायण, अंश यादव, अर्पित तिवारी, प्रतीक सिंह, गौरव चौरसिया ने बंदर के रूप में अभिनय किया।
सश्या, शिवांगी सोनी, तमन्ना यादव, अविका, लक्ष्मी यादव,काव्य उपाध्याय, खुशी ने भजन गाया।