Wednesday, July 3, 2024
बस्ती मण्डल

कथा श्रवण करने से दिशा और दशा दोनों बदल जाती है- आचार्य धरणीधर

सन्तकबीरनगर। जितेन्द्र पाठक।बखिरा मे आयोजित संगीतमयी श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन श्री अयोध्या जी से आए कथा प्रवक्ता आचार्य धरणीधर जी महाराज गिरिराज भगवान को छप्पनभोग अन्नकूट महोत्सव कथा पर श्रद्धालु जमकर थिरके भक्ति भजनों के साथ अन्नकूट महोत्सव और भगवान श्रीकृष्ण की माखन चोरी लीला का प्रभावी वर्णन किया। आचार्य धरणीधर जी महाराज ने बताया कि एक समय की बात है श्रीकृष्ण अपने मित्र ग्वालों के साथ गायों को चराते हुए गोवर्धन पर्वत जा पहुंचे। वहां उन्होंने देखा कि बहुत से व्यक्ति एक उत्सव मना रहे थे। श्रीकृष्ण ने इसका कारण जानना चाहा तो वहां उपस्थित गोपियों ने उन्हें कहा कि आज यहां मेघ व देवों के स्वामी इंद्रदेव की पूजा होगी।

फिर इंद्रदेव प्रसन्न होकर वर्षा करेंगे, फलस्वरूप खेतों में अन्न उत्पन्न होगा और ब्रजवासियों का भरण-पोषण होगा। यह सुन श्रीकृष्ण सबसे बोले कि इंद्र से अधिक शक्तिशाली तो गोवर्धन पर्वत है, जिनके कारण यहां वर्षा होती है। गोवर्धन पर्वत पर हमारी गायें चरती है। गायों से दूध, घी, माखन बनता है। सबको इंद्र से भी बलशाली गोवर्धन की पूजा करना चाहिए। श्रीकृष्ण ने उठाया गोवर्धन पर्वत : भगवान श्रीकृष्ण की बात मान कर सभी ब्रजवासी इंद्र की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे। देवराज इन्द्र ने इसे अपना अपमान समझा और प्रलय के समान मूसलाधार वर्षा शुरू कर दी। तब भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा कर ब्रजवासियों की भारी बारिश से रक्षा की थी। इंद्र देव पहुंचे भगवान की शरण में : इसके बाद इंद्र को पता लगा कि श्रीकृष्ण वास्तव में विष्णु के अवतार हैं और अपनी भूल का आभास हुआ। तब इंद्र देवता को भगवान श्रीकृष्ण से क्षमा याचना करनी पड़ी। इन्द्रदेव की याचना पर भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा और सभी ब्रजवासियों से कहा कि अब वे हर साल गोवर्धन की पूजा कर अन्नकूट पर्व मनाएं। तब से ही यह पर्व गोवर्धन के रूप में मनाया जने लगा इस अवसर पर ध्रुव नारायण चौधरी इन्द्रदेव राय,उर्फ फागु राय दुर्गेशचन्द्र पाण्डेय, विनोद गुप्ता ,राजकुमार सिंह , अमरनाथ सिंह, शिवचरण चौधरी रामशरण कसेरा,पवन कुमार,मोनू,बालक दास समेत तमाम लोग मौजूद रहे हैं