Tuesday, May 21, 2024
बस्ती मण्डल

इमामे हुसैन और उनके साथियों ने हक और सब्र नहीं छोड़ा

नगर बाजार बस्ती (शकील खान) नगर पंचायत नगर बाज़ार जनपद बस्ती के अन्तर्गत बिरऊपुर में जिक्रे शोहदाए करबला का 5 दिवसीय प्रोग्राम का आयोजन संपन्न हुआ।

प्रोग्राम का संचालन जामा मस्जिद बिराऊपुर के इमाम मौलाना रिजवानुल मुस्तफा अलीमी की निगरानी में हुआ।
मौलाना आलिमी इस प्रोग्राम के मुख्य खतीब रहे तथा दूसरे खतीब हाफिज जमशेद साहब रहे। नात खां की भूमिका हाफिज जमशेद , हाफिज नोमान और मास्टर शहंशाह खूब निभा रहे थे।
मौलाना आलिमी ने हमें बताया की इस्लाम धर्म के प्रवर्तक पैगंबर मोहम्मद सलल्लाह हु अलैहिवासल्लम के नवासे (नाती) इमामे हुसैन को मदीना से ईराक में स्थित कूफा से लगभग 150 खत लिख कर बुलाया गया कि आप आईए हम लोग आपको अपना हाथ देकर आपको अपना रहनुमा बनाने के लिए तैयार हैं।
इमाम हुसैन ने अपने पूरे अहले खानदान के साथ जिसमे औरतें, बच्चे, नौजवान और बूढ़े सब शामिल थे कुफा के लिए निकल पड़े।
जब ईराक में पहुंचे तो यही पे एक जगह है कर्बला, करबला के ही मैदान में इमामे हुसैन को दमिश्क के बादशाह का सिपहसालार हूर ने 1 हज़ार फौजियों को लेकर रोक देता है ।
करबला जो भौगोलिक रूप से 2 नदियों के बीच स्थित है दजला और फरार।
इस जगह पे इमामे हुसैन ने टेंट लगा के अपने खेमे को रोक देते हैं। इससे पहले इमामे हुसैन जब मदीना से निकले थे तो लंबा सफर होने के वजह से 19 जगह पे आराम कर चुके थे यानी करबला बीसवां ठहराव था।
हूर ने इमामे हुसैन से कहा कि तुम अपना हाथ यजीद के हाथ में देकर अपना रहनुमा मान लो ।
यजीद जो इंसानियत का दुश्मन था, शराबी था, अय्याश बाज था बहुत बड़ा अत्याचारी था को इमामे हुसैन ने अपने हाथ को यजीद के हाथ में देने से इंकार कर दिए इससे हूर जो यजीद का सेना पति था आग बबूला हो गया और जंग का ऐलान कर दिया।
इमामे हुसैन और उनके पूरे टीम को पहले पानी पीने से रोक दिया जाता है फरात नदी पे पहरा लगा दिया जाता है। 3 दिनों तक इमामे हुसैन और पूरे अहले खानदान को भूखा प्यासा रख कर बड़े बे रहमी से करबला के मैदान में शहीद कर दिया जाता है।
यजीद ये सोच रहा था कि अब पूरी दुनियां हमें खलीफा मानेगी पर ऐसा नहीं हुआ यजीद जीत के भी हार गया और हुसैन हार के भी जीत गए।
इस प्रोग्राम में जहीरूद्दीन शेख, मोहसिन शेख,शेरमोहम्मद , नूर मोहम्मद ,अली असगर, औरंगजेब, जीशान खान, रिज़वान, अरशद, फरहान, अमजद, बदरुद्दीन, दानिश आदि लोग मौजूद रहे।