Saturday, May 18, 2024
हेल्थ

निमोनिया प्रबंधन से कम होगी पांच साल तक के बच्चों की मौत

– बचाव, इलाज व गम्भीर मरीजों को रेफर करने के लिए दिया गया प्रशिक्षण

बस्ती। निमोनिया के संक्रमण से होने वाली मौत की मुख्य वजह कुपोषण, गरीबी और स्वास्थ्य सेवाओं की पर्याप्त व्यवस्था न होना है। बचाव, रोकथाम व उपचार का सही तरीका अपना कर इससे होने वाली मौत को काफी हद तक कम किया जा सकता है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से इसके लिए उपकेंद्रों व हेल्थ वेलनेस सेंटर पर तैनात स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है।
एसीएमओ डॉ. एफ हुसैन ने बताया कि स्वास्थ्य के अच्छे एवं सुरक्षित व्यवहार को अपना कर बच्चों को सुरक्षित रखा जा सकता है। छह माह तक केवल स्तनपान व इसके बाद स्तनपान के साथ सम्पूरक आहार देने से निमोनिया रोग हो जाने पर उसकी गम्भीरता में कमी आएगी। विटामिन ए की खुराक से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इससे मृत्यु दर में कमी होगी।
प्रशिक्षक डॉ. आशुतोष शर्मा ने बताया कि निमोनिया की पहचान के लिए दो महत्वपूर्ण लक्षण होते हैं। सांस का तेज चलना व छाती का अंदर की ओर धंसना। मरीज अगर कुछ खा पी नहीं रहा है, स्तनपान नहीं कर रहा है, सब कुछ उल्टी कर देता है, दौरे पड़ रहे हैं व सुस्ती और बेहोशी है तो यह मरीज के गम्भीर होने के लक्षण हैं। ऐसे मरीजों को वेलनेस सेंटर से तत्काल हॉयर सेंटर के लिए रेफर कर दें। उन्होंने बताया कि दो माह से एक साल के बच्चे की सांस एक मिनट में 50 बार या उससे अधिक, एक साल से पांच साल तक के बच्चे की सांस एक मिनट में 40 या उससे अधिक है तो माना जाएगा कि उसकी सांस तेज चल रही है।
जिला प्रबंधक एनएचएम राकेश पांडेय, यूनिसेफ संस्था के डिविजनल हेल्थ कोआर्डिनेटर सुरेंद्र शुक्ला, मैटरनल हेल्थ कंसल्टेंट राजकुमार, डीसीपीएम दुर्गेश कुमार मल्ल, विवेक मिश्रा, और शशि चौधरी ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में सहयोग प्रदान किया।

क्या है निमोनिया-
निमोनिया फेफड़ों की सूजन है। इसमें फेफड़ों की कुपिकाओं में मवाद भर जाता है, जिससे यह ठोस हो जाती है। निमोनिया को निचले श्वसन तंत्र के घातक संक्रमण या तीव्र श्वसन तंत्र संक्रमण के रूप में भी जाना जाता है। अक्सर निमोनिया जीवाणु, वायरस, फंगस या परजीवी संक्रमण के कारण होता है। बुखार, खांसी व सांस लेने में तकलीफ निमोनिया के लक्षण हो सकते हैं।

रोग से बचाव के लिए लगाया जाता है तीन टीका
निमोनिया से बचाव के लिए बच्चों को नियमित टीकाकरण के तहत तीन डोज पीसीवी (नीमोकोकल) का टीका लगाया जाता है। यह टीका डेढ़ माह, साढ़े तीन माह व नौ से 12 माह के बीच तीसरा डोज लगाया जाता है। इसके लग जाने से बच्चा निमोनिया से सुरक्षित रहता है।