Wednesday, July 3, 2024
बस्ती मण्डल

योगी सरकार चला रही अत्याचार उत्पीड़न सहायता योजना दलितों को मिल रहा है फायदा

अयोध्या। योगी सरकार द्वारा दलितों को दी जा रही अत्याचार उत्पीड़न सहायता योजना के अंतर्गत सहायता अब पीड़ित दलित को किसी भी प्रकार कोई अत्याचार या उत्पीड़न नहीं कर पाए किसके लिए अनुसूचितजाति-जनजाति महिला अत्याचार संबंधी मामलों के मुआवजे की फाइल अब विभागों में नहीं अटकेगी। सोशल जस्टिस मैनेजमेंट सिस्टम (एसजेएमएस) पोर्टल पर ये प्रकरण अपलोड कर मुआवजा राशि दी जाएगी। इससे पीडितों को त्वरित सहायता मिलेगी।सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने एक मई को मजदूर दिवस के मौके पर जिले के सभी थानाधिकारी, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग और कलेक्ट्रेट कार्यालय को पोर्टल से जोड़ दिया है। ऐसे में पोर्टल पर दर्ज प्रकरणों की जांच पारदर्शिता के साथ जल्दी और प्रभावी ढंग से होगी। समाज कल्याण विभाग से मिली जानकारी के अनुसार पोर्टल पर कार्य शुरू दिया गया है। इस पोर्टल से लंबित प्रकरण नहीं रह पाएंगे तथा जो भी प्रकरण दर्ज होंगे, उनका जल्द निस्तारण हो सकेगा। उल्लेखनीय है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 संशोधित अधिनियम 2015 के तहत प्रकरणों में पीडि़त आश्रितों को सहायता राशि दी जाती हैं। दलित और महिला उत्पीडऩ के मामलों में पहले जांच पूरी होने के बाद भी पीडि़त को मुआवजा मिलने में तीन महीने का समय लग जाता था। इसका कारण है कि पुलिस जांच करने के बाद करीब 20-25 फाइलों को एक साथ सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग को भेजती थी। अब हर मामले की जांच पूरी होने पर रिपोर्ट पोर्टल पर दर्ज होगी। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग सहायता राशि निर्धारित करेगा। कलेक्टर इसे स्वीकृति देंगे। यह पूरी प्रक्रिया अब 20 दिन में पूरी होगी। आपको बता दें कि अत्याचार उत्पीड़न सहायता योजना के अंतर्गत अयोध्या जनपद में 572 लोगों को इस योजना का लाभ मिल चुका है। इस योजना की जानकारी देते हुए समाज कल्याण विभाग अधिकारी रणविजय सिंह ने बताया कि 395.62 लाख लाभार्थियों को दिया जा चुका है।

*पुलिस में दर्ज प्रकरणों की जांच जल्दी होगी*

एससीएसटी के पुलिस में दर्ज प्रकरणों की जांच जल्दी होगी। प्रकरणों का आंकड़ा पोर्टल पर दिखने से लंबित प्रकरणों की संख्या अधिक होने पर थानाधिकारियों पर दबाव बनेगा। जिसके कारण प्रकरणों की जांच समय पर पूरी होगी। पुलिस जांच के बाद भी प्रकरणों को फाइलों में दबा कर रख दिया जाता था। 25-30 जांच रिपोर्ट एक साथ विभाग को भेजी जाती थी। पुलिस को जांच पूरी होते ही रिपोर्ट ऑनलाइन करनी होगी। दलित और महिला उत्पीडऩ के मामले में पीड़ित और आश्रितों को सहायता राशि जल्द मिल पाएगी। विभाग के अधिकारी प्रकरण की जांच रिपोर्ट के आधार पर कलेक्टर से सहायता राशि स्वीकृत करवा कर पीडि़त आश्रितों के खाते में यह राशि जमा करवाएंगे।

*राहत राशि में वृद्धि*

कुछ अपराधों के लिए राहत राशि में वृद्धि सहित राहत राशि के मानदंडों को भी युक्तिसंगत बनाया गया है । कुछ अपराधों के मामले में राहत राशि हैं मतदान से रोकने, नामांकन दाखिल करने, पंचायत या नगर पालिका के पद के धारक को कर्तव्यों का पालन करने से रोकने, डराने या बाधित करने जैसे अपराधों के मामले में पीड़ित को 85,000 रुपये।
बलात्कार के मामले में पीड़िता को 5,00,000 रुपये और सामूहिक बलात्कार के मामले में 8,25,000 रुपये हत्या के मामले में 8,25,000 रु सामाजिक या आर्थिक बहिष्कार करने या धमकी देने के मामले में 1,00,000 रुपये अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के किसी भी पूजा स्थल में प्रवेश करने से रोकने के मामले में 1,00,000 रुपये जो जनता के लिए खुला है।