Friday, June 28, 2024
हेल्थ

मां और बच्चे के लिए गोल्डेन पीरियड होता है एक हजार दिन

– नवनियुक्त एएनएम का हो रहा है अभिमुखीकरण प्रशिक्षण

बस्ती, 27 मार्च 2023। मां और बच्चे के लिए एक हजार दिन गोल्डेन पीरियड होते हैं। यह महिला के गर्भवती होने से लेकर बच्चे के दो साल तक होने तक होता है। इस दौरान पोषण व टीकाकरण पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। यह कहना है प्रशिक्षक प्रियंका का। वह नवनियुक्त एएनएम के 12 दिवसीय अभिमुखीकरण प्रशिक्षण सत्र को संबोधित कर रही थे। यह प्रशिक्षण शहर के एक होटल में चल रहा है। शासन की ओर से जिले के विभिन्न उपकेंद्रों पर 43 एएनएम की तैनाती की गई है।
उन्होंने कहा कि कहा कि 46 प्रतिशत महिलाओं में खून की कमी होती है। इससे गर्भवती व गर्भस्थ शिशु दोनों का स्वास्थ्य प्रभावित होता है। पांच वर्ष तक के लगभग 32 प्रतिशत बच्चों का आयु के अनुसार वजन कम होता है। इसका मुख्य कारण सही पोषण व उचित देखभाल का न होना है। महिला का पोषण स्तर सही न होने पर गर्भस्थ शिशु का विकास प्रभावित होता है। प्रसव के बाद भी बच्चे का शारीरिक व मानसिक विकास प्रभावित रहता है। मातृ एवं शिशु पोषण हस्तक्षेप से अर्थात जीवन के पहले 1000 दिन उचित आहार संबंधी व्यवहार को अपनाने से कुपोषण के इस चक्र को रोका जा सकता है।
प्रशिक्षक राघवेंद्र ने बताया कि फोलिक एसिड के सेवन से बच्चे में होने वाले न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट को रोका जा सकता है। गर्भावस्था में सात से नौ माह में शिशु के मस्तिष्क का विकास तेजी से होता है, इस दौरान उचित पोषण व देखभाल की जरूरत होती है। जन्म के तुरंत बाद से छह माह तक केवल स्तनपान कराने से बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। छह माह बाद ऊपरी आहार शुरू करने से आवश्यक ऊर्जा व पोषक तत्वों की पूर्ति होती है। वीएचएसएनडी सत्रों पर पोषण संबंधी सलाह प्रथम पंक्ति कार्यकर्ता द्वारा प्रदान की जाती है। जिला मातृ स्वास्थ्य सलाहकार राजकुमार ने बताया कि पूरे गर्भकाल में नौ से 11 किलो वजन बढ़ना चाहिए। इसकी ट्रैकिंग करते हुए एमसीपी कार्ड पर इसे रिकार्ड करना आवश्यक है। गर्भवती व धात्री को 10 में से कम से कम पांच खाद्य समूह को दैनिक आहार में शामिल करना चाहिए। गर्भावस्था की पहली तिमाही में फोलिक एसिड, दूसरी तिमाही से प्रसव होने तक ऑयरन, कैल्शियम एंव एल्बेंडाजोज का सेवन जरूरी है।
सीएमओ डॉ. आरपी मिश्रा ने बताया कि नवनियुक्त एएनएम को कौशल आधारित प्रशिक्षण प्रदान किए जाने का निर्णय शासन स्तर पर लिया गया है। समुदाय में परिवार नियोजन, प्रसवपूर्व जांच, गर्भावस्था में जटिलताओं की पहचान व उनका प्रबंधन, संस्थागत प्रसव, मातृ एवं शिशु पोषण व टीकाकरण जैसी सेवाएं प्रदान करना है।