Sunday, May 19, 2024
हेल्थ

समय से हो जाए पहचान तो क्लब फुट का हो जाएगा निदान

बीस दिन के भीतर चिकित्सक से सम्पर्क करने पर छह से आठ प्लास्टर व सर्जरी से होता है सुधार

गोरखपुर। जन्मजात टेढ़े मेढ़े पैर (क्लब फुट) की अगर समय से पहचान हो जाए और उसका अतिशीघ्र इलाज किया जाए तो बीमारी का निदान हो जाएगा और बच्चे सामान्य जीवन जी सकेंगे। जन्म के बीस दिनों के भीतर चिकित्सक से सम्पर्क करने पर छह से आठ प्लास्टर व सर्जरी से बच्चे के पैरों में सुधार होने लगता है । इस बीमारी का इलाज अठारह माह की उम्र तक संभव है लेकिन प्लास्टर की संख्या बढ़ जाती है। इस आयुवर्ग में इलाज शुरू करवाने पर दस से सोलह प्लास्टर लगते हैं और सर्जरी होती है । सर्जरी के बाद पांच साल की उम्र तक ब्रेस शू (विशेष जूते) पहनने होते हैं ताकि बच्चा पूरी तरह से ठीक हो जाए। यह कहना है राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ नंद कुमार का ।

डॉ नंद कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) टीम और मिराकल इंडिया संस्था के सहयोग से जिला अस्पताल और एक सम्बद्ध निजी अस्पताल में वर्ष 2019 से अब तक ऐसे 176 बच्चों का इलाज कर उन्हें ठीक किया जा चुका है । जिन बच्चों का सरकारी अस्पताल पर प्रसव होता है उन्हें अस्पताल के स्तर पर ही चिन्हित कर इलाज की सुविधा दी जाती है । मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे के दिशा निर्देशन में आरबीएसके योजना की डीईआईसी मैनेजर डॉ अर्चना और मिराकल इंडिया संस्था के प्रतिनिधि अरूण के सहयोग से बच्चों को चिन्हित कर इलाज की सुविधा दिलाई जा रही है । ऐसे बच्चों के अभिभावक टीम या संस्था के प्रतिनिधियों से सम्पर्क कर सकते हैं ।

*सुधर रही है प्रियांशु की हालत*

पिपरौली ब्लॉक के फरसही गांव की निवासी निशा (30) का एक साल का बेटा प्रियांशु अपने पैरों पर धीरे धीरे खड़ा होने लगा है । निशा बताती हैं कि उनकी तीन साल की बेटी तो जन्म से ही पूरी तरह स्वस्थ है लेकिन जब आठ फरवरी 2022 को उनका बेटा प्रियांशु बरबसपुर उपकेंद्र पर पैदा हुआ तो बच्चे के पैर की एड़ियां मुड़ी हुई थीं। पूरा परिवार दुखी हो गया लेकिन गांव की आशा कार्यकर्ता आरती सिंह ने समझाया कि जिला अस्पताल में बच्चे का इलाज हो पाएगा। सुविधा की पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए पिपरौली की आरबीएसके टीम से मदद ले सकते हैं। आशा की मदद से निशा ने पिपरौली सीएचसी पर सम्पर्क किया । पिपरौली सीएचसी से आरबीएसके टीम के चिकित्सक डॉ पवन यादव व डॉ एसके वर्मा एवं टीम के सदस्य ओम शिवेंद्र भारती और चंदन राय ने क्लब फुट सर्जरी के लिए बच्चे को जिला अस्पताल पहुंचाया। बच्चे को हर हफ्ते बुला कर आठ बार प्लास्टर हुआ और नौवीं बार सर्जरी व प्लास्टर किया गया। इक्कीस दिनों बाद बच्चे को विशेष जूते भी दिये गये। अब उनके बच्चे की स्थिति सुधर रही है । निशा का कहना है कि आरबीएसके टीम समय समय पर उनके बच्चे का फॉलो अप भी कर रही है। सीएचसी के अधीक्षक डॉ शिवानंद मिश्र का कहना है कि बच्चे के पैर में जो थोड़ा बहुत टेढ़ापन बचा है वह उम्र के साथ जूते पहनने से समाप्त हो जाएगा।

*निजी अस्पतालों में सर्जरी खर्चीली*

आरबीएसके की डीईआईसी मैनेजर डॉ अर्चना ने बताया कि इस सर्जरी से जुड़ी समस्त सुविधाएं जिला अस्पताल में उपलब्ध हैं । आशा कार्यकर्ता और आरबीएसके की मदद से सुविधाएं प्राप्त कर सकते हैं । सर्जरी के बाद संस्था के सहयोग से विशेष जूते दिये जाते हैं जो हर तीन से चार महीने पर खराब होने के बाद पुनः प्राप्त किये जा सकते हैं। सर्जरी के बाद पांच साल तक जूते के नियमित इस्तेमाल से बच्चा पूरी तरह से ठीक हो जाता है।

*यहां कर सकते हैं सम्पर्क*

मिराकल इंडिया संस्था के प्रतिनिधि अरूण का कहना है कि क्लब फुट वाले बच्चों की आरबीएसके टीम के जरिये और प्रसव केंद्र से भी पहचान कराई जा रही है । इसके बावजूद अगर किसी के घर में ऐसा बच्चा है जिसे सुविधा नहीं मिल पाई है तो वह उनके मोबाइल नम्बर 8976974289 पर सम्पर्क कर सकता है । बच्चे को समस्त सुविधाएं प्रदान की जाएंगी ।