Sunday, April 21, 2024
बस्ती मण्डल

सरस्वती विद्या मंदिर रामबाग में गुरु गोविंद सिंह जी की जयन्ती मनाई गयी ।

बस्ती। सरस्वती विद्या मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय रामबाग में आज सिक्खों के 10वें गुरु, गुरु गोविन्द सिंह की जयन्ती मनाई गई।
विद्यालय के आचार्य सुधांशु सिंह ने गुरु गोविंद सिंह के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए व उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गुरु गोविन्द सिंह का जन्म पौष शुक्ल सप्तमी संवत् 1723 विक्रमी तदनुसार 22 दिसम्बर 1666 को हुआ था। वे सिखों के दसवें गुरु थे। उनके पिता जी श्री गुरू तेग बहादुर जी के बलिदान के उपरान्त 11 नवम्बर सन 1675 को वे 10 वें गुरू बने। वे एक महान योद्धा, चिन्तक, कवि, भक्त एवं आध्यात्मिक नेता थे। सन 1699 में बैसाखी के दिन उन्होंने खालसा पंथ (पन्थ) की स्थापना की जो सिखों के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोविंद सिंह का सिख धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। खालसा पंथ की स्थापना करने से लेकर गुरु ग्रन्थ साहिब को सिखों के गुरु के रूप में प्रतिष्ठित करने के गुरु गोविंद सिंह जी की महती भूमिका है। अत्याचारी मुग़ल शासन के सामने झुकने के बजाय अपनी प्राण देने वाले वीर बालक बाबा जोरवार सिंह एवं बाबा फतेह सिंह गुरु गोविंद सिंह जी की संतान थे, जिनके शहादत के अवसर पर वीर बाल दिवस मनाया जाता है। सिखों को खालसा के रूप में संगठित करना एवं एवं सिख राज्य को उत्तर-पश्चिमी भाग की प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित करने में गुरु गोविंद सिंह जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
गुरु गोविन्द सिंह द्वारा गुरु ग्रन्थ साहिब को गुरु घोषित करते हुए कहा गया था की अब से गुरुवाणी ही गुरु का कार्य करेगी। इस प्रकार से गुरु गोविन्द सिंह के पश्चात सिख धर्म में गुरु ग्रन्थ साहिब को ही गुरु के रूप में स्वीकार किया गया है।
इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री अरविन्द सिंह जी ने भी प्रार्थना सभा में सभी भैयाओ को गुरु गोविन्द सिंह जी के बारे में बताया व उनके जीवन से जुड़ी बातों को अपने जीवन में उतारने को कहा। विद्यालय के आचार्य उमेश पाण्डेय जी ने भजन प्रस्तुत किया।

इस अवसर पर विद्यालय के आचार्य विनोद सिंह, शैलेन्द्र त्रिपाठी, आशीष सिंह, रंजीत सिंह, उपेन्द्र नाथ द्विवेदी, हरि नारायण तिवारी आदि की भी उपस्थिति रही ।