Monday, July 1, 2024
साहित्य जगत

देव दीपावली

आज का दिन बड़ा ही पावन,

कार्तिक की पूर्णिमा बड़भागी।
मानी जाए सबसे पवित्र तिथि यह पंचांग में ।
देव मनाए उत्सव आज के दिन करते पदार्पण देव काशी नगरी में ,
मनाते हर्षोल्लास से दीपावली।
भोले भंडारी की नगरी ऐसी सजती ,
भव्यता , दिव्यता देखते ही बनती।
गंगा भी इतराती ,इठलाती आज सब मुझसे मिलने आते हैं मेरे बिछड़े।
क्या !देव क्या! मानव मेरे जल में स्नान कर धन्य धन्य सभी होते।
गंगा का हर घाट दीपों की अवली से सज कर चहक उठता, बोल उठता ।
पूरी काशी महक उठती,
हर हर गंगे ,बम बम भोले स्वर लहरी से गुंज उठती। नयन स्तब्ध ,ह्रदय भाव विभोर ,
प्रतीत होता मानो किसी और ही दुनिया में आ गए हो।
ऐसे लगता है जैसे आज तारें जमी पर उतर आए हो त्रिपुरासुर का वध कर भोले ने किया उपकार ,
आए सब देव भोले को नमन करने ,दीप जलाए प्रसन्नता मनाए ।
काशी वासियों ने इस उत्सव को महा उत्सव में ऐसा बदला,
कि समस्त संसार स्तब्ध है !
नहीं है शब्द किसी के पास जो करें इसकी भव्यता दिव्यता का वर्णन,
दीपों से सजती काशी नगरी ऐसी ,
मानो दुल्हन बनी हो आज।
आज के दिन ऐसा लागे मानो पूरी आकाशगंगा ही, उतर आई हो काशी नगरी में।
मन आनंदित खुशी से झूमे हर मन , सजल नयन
अद्भुत अकल्पनीय ये दृश्य। हर आंख अचंभित ।
कर लो दीपदान तुम भी ,
कर लो अर्जन दस यज्ञों का पुण्य।
भोग भाये आज मां लक्ष्मी को गंगाजल, मिश्री मिश्रित खीर,
आओ अर्पण करें मां को।
मां तुलसी आती मैके करने
पग फेरा,
आज का दिन बड़ा सुहावन।
मइया करती हैं उपकार घर आंगन महकाती ,
कर मां का
पूजन ,वंदन ,अर्चन
भाग जगाए ले आओ हम भी।
निखारे अपना भाग्य सुख समृद्धि मोक्ष मिलता करो प्रज्वलित तुम एक भी दीप आज के दिन है यह सबसे पुण्यतिथि जान लो मान लो ।
तो करलो गंगा के पावन जल में स्नान और पालो पापों से छुटकारा।
है तेरे उपकार अनेक मानव पर हे ! मंदाकिनी ।
दे वर मुझे शिवप्रिया आकर चरण स्पर्श तेरे कर मै पाऊं। तेरे पावन जल का स्पर्श लू कर हे सप्तधारा तेजस्विनी, मां गंगे महिमा तुझे पुकारे। मेरी सुन लो पुकार ।
दीप सजाओ ,दीप दान करो चुनरी चढ़ाओ, बिंदिया चढ़ाओ, चूड़ी चढ़ाओ जोड़ी जोड़ ।
कर सोलह सिंगार भोले के दर्शन को जाऊं,
मां अन्नपूर्णा के आशीष से झोली भर कर लाऊं।
आज देवो ने ब्रह्मांड में अखंड दीपावली जगमग कर दी ,
जैसे मानो मिल रहे हो,
धरा और गगन ।
आज तुलसा पैर फिरावन मैकें आयी ,
बाज रही बधाई ।
बड़ा ही पावन दिवस है,
नाम कार्तिक पूर्णिमा ।
सज लो कर लो सोलह सिंगार,
चलो करके आए दीपदान। चलो करके आएंगे
पावन तिथि को पावन काशी नगरी के दर्शन ।
करके जब तप पूजा पाठ से इह लोक उहलोक सुधारेंगे।

स्वरचित
शब्द मेरे मीत
डाक्टर महिमा सिंह
लखनऊ उत्तर प्रदेश