Sunday, May 19, 2024
धर्म

प्रभु श्रीराम की जय घोष के साथ हुआ लंका दहन

सीडीए एकेडमी बनकटी एवं दिल्ली स्कूल ऑफ एक्सीलेंस बस्ती के छात्रों द्वारा हुआ सजीव मंचन

बस्ती। सनातन धर्म संस्था द्वारा आयोजित श्री रामलीला महोत्सव के सातवें दिवस का शुभारंभ श्री राम झांकी की आरती के साथ प्रारम्भ हुआ। आरती में मुख्य रूप से प्रेस क्लब अध्य्क्ष विनोद उपाध्याय,डॉ0 अरुणा पाल, वशिष्ठ पाण्डेय, सुनील मिश्र सपत्नीक,संजय द्विवेदी, डॉ0 शैलेश सिंह उपस्थित रहे ।

प्रभु श्री राम की आरती स्तुति में डॉक्टर सत्येंद्र ओझा राकेश दुबे जितेंद्र नाथ मिश्र, राम विनय पांडे, महेंद्र शंकर ,आलोक पांडे, सत्येंद्र विश्वकर्मा ,विजय द्विवेदी, धीरेंद्र सिंह ,प्रभाकर मणि त्रिपाठी, सोनू पांडे , दिनेश गुप्ता, सचिन शुक्ला ,प्रफुल्ल श्रीवास्तव, प्रमोद कनौजिया ,विशाल श्रीवास्तव ,अश्विनी श्रीवास्तव, परमेश्वर शुक्ल पप्पू उपस्थित रहे।

नित्य की भांति शक्ति संगठन की कात्यायिनी, पूजा के सदस्यों द्वारा तिलक लगाकर स्वागत किया गया। प्रस्तुति का प्रथम चरण सीडीए अकैडमी बस्ती बनकटी के बच्चों द्वारा प्रस्तुत किया गया।
सीता माता की खोज के लिए अंगद कहते हैं कि हनुमान जी से शक्तिशाली कोई नहीं है और समुद्र को सिर्फ वही लांघ सकते हैं। लेकिन तब हनुमान जी अपनी शक्तियां भूल चुके होते हैं। तब जामवंत हनुमान जी को उनकी शक्तियां याद दिलाते हैं।
शक्तियां याद आने के बाद समुद्र लांघकर वे लंका पहुंच जाते हैं। यहां वे रावण के राजमहल में सीता जी को खोजते हैं, पर वे वहां नहीं मिलतीं। इसके बाद उनकी मुलाकात विभीषण से होती है, जो सीता माता का पता बताते हैं। रात में वे अशोक वाटिका पहुंचते हैं, जहां सीता जी को विभिन्न राक्षसी डरा रही होती हैं। तभी वहां रावण आता है और उन्हें भय दिखाता है। सीता माता रावण से कहती है कि भगवान राम उसका लंका सहित संहार कर देंगे। रावण के जाने के बाद हनुमान जी भगवान राम द्वारा दी गई मुद्रिका माता सीता के सामने डालते हैं, जिसे वे पहचान लेते हैं। तभी वे अशोक वृक्ष से उतर उनके सामने आ जाते हैं। यहां पर सीता और हनुमान का बड़ा ही मार्मिक संवाद होता है। इसके बाद हनुमान, सीता जी से अशोक वाटिका में लगे फलों को खाने का निवेदन करते हैं, जिसकी वे आज्ञा दे देतीं हैं।

हनुमान जी रावण के राजउद्यान को तहस-नहस कर देते हैं। फल फूल, वृक्ष सब तहस नहस कर देते हैं।जब यह समाचार रावण के मिलता है तो वह अपने पुत्र अक्षय कुमार को भेजता है, जिसका हनुमान जी वध कर देते हैं। इसके बाद वह मेघनाद को भेजते हैं, जो हनुमान जी को नागपाश में बांध लेता है और रावण के राजदरबार में लाता है। यहां पहुंचकर हनुमान जी रावण को समझाने का प्रयास करते हैं लेकिन वह उनकी बात न मानकर उनकी पूंछ में आग लगाने की आज्ञा देता है। पूंछ में आग लगते ही हनुमान जी पूरी लंका का विध्वंस कर देते हैं।


कार्यक्रम का दूसरा चरण दिल्ली स्कूल ऑफ एक्सीलेंस के छात्रों द्वारा प्रदर्शित किया गया । यहाँ (सुबेल पर्वत पर) प्रातःकाल श्री रघुनाथजी जागे और उन्होंने सब मंत्रियों को बुलाकर सलाह पूछी कि शीघ्र बताइए, अब क्या उपाय करना चाहिए? जाम्बवान्‌ ने श्री रामजी के चरणों में सिर नवाकर कहा हे सर्वज्ञ सुनिए! मैं अपनी बुद्धि के अनुसार सलाह देता हूँ कि बालिकुमार अंगद को दूत बनाकर भेजा जाए ।यह अच्छी सलाह सबके मन में जँच गई। कृपा के निधान श्री रामजी ने अंगद से कहा- हे बल, बुद्धि और गुणों के धाम बालिपुत्र! हे तात! तुम मेरे काम के लिए लंका जाओ। अंगद लंका पहुंच रावण को समझाने का भरसक प्रयास करते हैं किंतु रावण उनको एक बानर साधारण जान उपहास उड़ाते हैं फिर अंगद अपने बल का प्रदर्शन कर भरी सभा मे अपना पैर जमा कर खड़े हो जाते हैं एक एक कर सभी महाबली अंगद के पैरों को दिखाने का प्रयास करते हैं सभी निष्फल होने के बाद अंगद के ललकारने पर रावण स्वयं उठा। जब वह अंगद का चरण पकड़ने लगा, तब बालि कुमार अंगद ने कहा- मेरा चरण पकड़ने से तेरा बचाव नहीं होगा!।

अरे मूर्ख- तू जाकर श्री रामजी के चरण क्यों नहीं पकड़ता? यह सुनकर वह मन में बहुत ही सकुचाकर लौट गया। उसकी सारी श्री जाती रही। कार्यक्रम में संरक्षक के रूप में कैलाश नाथ दूबे, कर्नल के0 सी0 मिश्र उपस्थित रहे। मंच संचालन शुभाष शुक्ल, बृजेश सिंह मुन्ना द्वारा किया जा रहा है कार्यक्रम संयोजन रोहन दूबे,पंकज त्रिपाठी , हरीश त्रिपाठी ,अनुराग शुक्ल,अभय,अंकित, आशीष शुक्ल, जॉन पाण्डेय अजय पाण्डेय, सत्यम मिश्र, हरीश त्रिपाठी, , महेंद्र, राजवंत पाण्डेय, अखिलेश दूबे द्वारा किया गया। कार्यक्रम में देर रात मंचन के समय तक सैकड़ों आम जन उपस्थित रहे।