Saturday, June 29, 2024
देश

लोक संस्कृति से व्यक्ति को जोड़ने का काम करती हैं कथाएं : प्रो. द्विवेदी

नई दिल्ली, 17 अक्टूबर। “भारत विश्व का पहला देश है, जहां कथा का जन्म हुआ। हमें गर्व है कि किस्सागोई की परंपरा हमसे ही पूरे विश्व में फैली है। हमारी वाचिक परंपरा ने ही वेद, पुराण, उपनिषद और अन्य ग्रंथों को संरक्षित करने का काम किया है। हमारी पौराणिक कथाएं लोकरंजन के अलावा हमें लोक संस्कृति एवं लोकाचार से जोड़ने का काम करती हैं।” यह विचार *भारतीय जन संचार संस्थान के महानिदेशक प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी* ने *मीडिया 360 लिटरेरी फाउंडेशन* द्वारा आयोजित *’कथा संवाद’* कार्यक्रम के दौरान व्यक्त किए। गाजियाबाद में आयोजित इस कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध शायरा एवं कथाकार *रेणु हुसैन* मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थीं।

आयोजन की अध्यक्षता करते हुए प्रो. द्विवेदी ने कहा कि भारतीय संस्कृति में सामाजिक संवाद की अनेक धाराएं है। शास्त्रार्थ हमारे लोकजीवन का हिस्सा है। हमें उन पर ध्यान देने की जरूरत है। सुसंवाद से ही सुंदर समाज की रचना संभव है। उन्होंने कहा कि कोई भी समाज सिर्फ आधुनिकताबोध के साथ नहीं जीता, उसकी सांसें तो ‘लोक’ में ही होती हैं। भारतीय जीवन की मूल चेतना, लोकचेतना ही है। लोकचेतना वेदों से भी पुरानी है, क्योंकि हमारी परंपरा में ही ज्ञान बसा हुआ है। ज्ञान, नीति-नियम, औषधियां, गीत, कथाएं, पहेलियां सब कुछ इसी ‘लोक’ का हिस्सा हैं।

इस अवसर पर *रेणु हुसैन* ने कहा कि आज जब हम कहानी पर गहराते संकट पर चिंता जताते हैं, तो हमें आश्वस्त होना चाहिए कि ऐसी कार्यशालाएं भी हैं, जो कहानियों को संरक्षित करने का काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि ‘कथा संवाद’ जैसे आयोजन कथा-कहानी को संरक्षित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे।

कार्यक्रम के संयोजक *सुभाष चंदर* ने कहा कि नए रचनाकारों को ध्यान रखना चाहिए कि लेखन विन्यास की वह प्रक्रिया है, जिसमें एक सलाई लेखक के तो दूसरी पाठक के हाथ में होती है। बंधन ढ़ीला होते ही पाठक कट जाता है। आयोजक *आलोक यात्री* ने कहा कि सोशल मीडिया साहित्य में बोनसाई संस्कृति को जन्म दे रहा है। ‘कथा संवाद’ जैसी कार्यशाला के जरिए कहानी के अस्तित्व पर मंडरा रहे संकट को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। अद्विक प्रकाशन के संस्थापक *अशाेक गुप्ता* ने कहा कि आज के दौर के कलमकारों के बीच पुस्तक प्रकाशन की स्पर्धा जिस तेजी से बढ़ रही है, उसी रफ्तार से स्तरीय लेखन पीछे छूटता जा रहा है।

इस मौके पर *डॉ. पूनम सिंह* एवं *तेजवीर सिंह* को *’दीप स्मृति कथा सम्मान’* एवं *मनु लक्ष्मी मिश्रा* को *’किआन कथा सम्मान’* प्रदान किया गया। कार्यक्रम में *प्रो. अशोक सिन्हा* के उपन्यास ‘एक रूह दो दिल’ (अनुवाद), *मधु अरोड़ा* के कहानी संग्रह ‘तमाशा’, *जवाहर चौधरी* के काव्य संग्रह ‘गांधी जी की लाठी में कोंपलें’ एवं *डॉ. कायनात काजी* के यात्रा वृत्तांत ‘देवगढ़ के गोंड’ का भी विमोचन किया गया। कार्यक्रम का संचालन *रिंकल शर्मा* ने किया।