Monday, July 1, 2024
बस्ती मण्डल

नैतिक शिक्षा ही चरित्रवान बनाती -भगवान भाई

बस्ती । नैतिक मूल्यों से बच्चो के चरित्र का निर्माण होता है |नैतिक मूल्यों के विकास से बच्चे में समाजीकरण की भावना का विकास होता है |गुणवान व्यक्ति देश की सम्पति हैं। विद्यार्थियों के बौध्दिक विकास के लिए भौतिक शिक्षा के साथ-साथ नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता हैँ। शिक्षा का मूल उद्देश्य होता हैं चरित्र का निर्माण करना । उक्त उदगार माउंट आबू से प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहे वे उर्मिला एजुकेशनल एकेडमी और संत जेवियर्स स्कूल में छात्राए और शिक्षको को जीवन में नैतिक शिक्षा का जीवन में महत्व विषय पर बोल रहे थे |

भगवान भाई जी ने कहा कि भौतिक शिक्षा भौतिकता की ओर धकेल रही है | भौतिक शिक्षा के नैतिक शिक्षा की आवश्यकता हैं।नैतिक शिक्षा से नैतिकता आएगी | उन्होंने कहा नैतिक मूल्यों की कमी ही समाज के हर समस्या का मूल कारण हैं। इसलिए विद्यार्थियों को नैतिक मूल्यों एवं उच्च आदर्शों से बच्चे का आत्मविश्वास व आत्मचेतना मजबूत होती है | उसके अंदर सच्चाई का बोलबाला होता है | उसमे समस्या के समाधान के लिए सही समय पर सही निर्णय लेने की क्षमता होती है |
उन्होंने कहा कि कहा कि समाज में व्यक्ति दो चीजों से पहचाना जाता है | पहला ज्ञान और दूसरा उसका नैतिक व्यवहार | व्यक्ति के सर्वांगीण विकास के लिए यह दोनों ही अति आवश्यक है | अगर ज्ञान सफलता की चाबी है तो नैतिकता सफलता की सीढ़ी | एक के अभाव में दूसरें का पतन निश्चित है | नैतिकता के कारण ही विश्वास में दृढ़ता और समझ में प्रखरता आती है | उन्होंने कहा की नैतिक शिक्षा गुणों का विकास करती है | बच्चों को संस्कारों से जोड़ती है | उन्हें उनके कर्तव्यों का ज्ञान कराती है | परिवार, समाज, समूह के नैतिक मूल्यों को स्वीकारना तथा सामाजिक रीति – रिवाजों, परम्पराओं व धर्मों का पालन करना सिखाती है
भगवान भाई ने कहा कि नैतिक शिक्षा वह शिक्षा है जो हमें बड़ों का आदर करना, सुबह जल्दी उठाना, सत्य बोलना, चोरी न करना, माता – पिता के चरणस्पर्श करना तथा अपराधिक प्रवृतियों से दूर रहना सिखाती है उन्होंने कहा कि बचपन से ही बच्चों को नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाने से उन्हें भले – बुरे, उचित – अनुचित का ज्ञान हो जाता है | वह समझने लगता है कि कौन सा व्यवहार सामाजिक है और कौन सा व्यवहार असामाजिक | किन व्यवहारों को करने से समाज में प्रतिष्ठा, प्रंशसा एवं लोकप्रियता मिलती है और किससे नहीं | उन्होंने कहा कि जब तक हमारे व्यवहारिक जीवन में परोपकार, सेवाभाव, त्याग, उदारता, पवित्रता, सहनशीलता, नम्रता, धैर्यता, सत्यता, ईमानदारी, आदि सद्गुण नहीं आते। तब तक हमारी शिक्षा अधूरी हैं। उन्होंने कहा कि समाज अमूर्त होता हैं और प्रेम,सद्भावना,भातृत्व,नैतिकता एवं मानवीय सद्गुणों से सचालित होता हैं।
स्थानीय ब्रह्माकुमारी केंद्र की बी के सविता बहनजी ने कहा कि हमें अपने दृष्टिकोण को सकारात्मक बनाने के लिए ज्ञान की आवश्यकता हैं। दृष्टिकोण सकारात्मक रहने पर मनुष्य हर परिस्थिति में सुखी रह सकता हैं।
प्रिन्सिपल नरेंद्र सिंह जी ने कहा कि बच्चो के विकास के लिए भौतिक शिक्षा के साथ नैतिक शिक्षा भी जरूरी है। हर मनुष्य को जीवन मूल्यों की रक्षा करना चाहिए। इन मूल्यों की रक्षा करने वाला अमर बन जाता है।
सह प्राचार्या अंजली सिंह जी ने कहा कि नैतिक शिक्षा किसी भी व्यक्ति के विकास में उतना ही आवश्यक है जितना कि स्कूली शिक्षा। नैतिक शिक्षा से ही हम अपने व्यक्तित्व का निर्माण करते है जो आगे चलकर कठिन परिस्थितियों का सामना करने का आत्मविवेक व आत्मबल प्रदान करता है।
बी के गंगाराम भाई जी ने ब्रह्माकुमारी विद्यालय का विस्तार से परिचय दिया |
अंत में भगवान भाई सभी बच्चो को ने मेडिटेशन भी करना सिखाया |
कार्यक्रम में बी के दीपक भाई ,बी के आशीष भाई भी उपस्थित थे |
सभी शिक्षक स्टाफ भी उपस्थित थे |