Saturday, June 29, 2024
बस्ती मण्डल

भारत में ज्ञान विज्ञान की उज्जवल परंपरा रही है-डॉ0अरविंद सिंह

सिद्धार्थनगर :: भारत में ज्ञान – विज्ञान की उज्जवल परंपरा रही है ।विज्ञान के क्षेत्र में भारत दुनिया को ज्ञान प्रदान करता रहा है। गणित के क्षेत्र में भारत ने शून्य और अनंत , 1 से 9 तक की गिनती,सर्जरी व 127 प्रकार की चिकित्सा पद्धतियां जो जीवन रक्षा का काम करती थी दुनिया को दिया । तक्षशिला और नालंदा जैसे 64 विश्वविद्यालय थे जहां दुनियाभर के छात्र शिक्षा ग्रहण करने आते थे। उस समय तक्षशिला में 10500 विद्यार्थी थे, 60 विषयों की मान्यता थी जिसको मुगलों और अंग्रेजों ने समाप्त करने का काम किया । दुनिया भर में सर्वाधिक स्त्री शिक्षा भारत में ही थी जो हजारों साल से चली आ रही श्रेष्ठ परंपरा को आगे बढ़ाने का काम करती थी मैक्समूलर,मैकाले व जेम्स ने भारतीय ज्ञान विज्ञान की परंपरा को विकृत करने का काम किया ।भारत दुनिया का आईना था। यहीं के वैज्ञानिक पूरी दुनिया पर राज कर रहे थे।

उक्त बातें शिवपति महाविद्यालय शोहरतगढ़ के प्राचार्य डॉ अरविंद सिंह ने कही। वह विद्या भारती शिशु शिक्षा समिति गोरक्ष प्रांत द्वारा रघुवर प्रसाद जायसवाल सरस्वती शिशु मंदिर इंटर कॉलेज तेतरी बाजार में आयोजित तीन दिवसीय संकुल शिक्षण- प्रशिक्षण कार्यशाला( राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ) के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे ।उन्होंने कहा कि भारत का ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र में अत्यंत श्रेष्ठ परंपरा रही है। लेकिन उसमें विस्मृत कराने का प्रयास किया गया ।पश्चिमी देशों के मुकाबले यहां के विज्ञान का उद्भव काफी पहले ही हो गया था। शिक्षा किसी भी राष्ट्र का प्राण होती है। भारत का प्राण हिंदुत्व है यदि हिंदुत्व भारत से निकाल दिया जाए तो वह सुखे वृक्ष के समान हो जाएगा। भारत की शिक्षा संपूर्ण थी सभी कलाओं से परिपूर्ण थी जिसे मैकाले ने ध्वस्त करने का काम किया । हमने केवल भारत को ही नहीं पूरे पृथ्वी को माता माना था पृथ्वी को किसी देश ने माता के रूप में स्वीकार नहीं किया लेकिन हमने हजारों साल पहले अपने ज्ञान विज्ञान के आधार पर सर्वप्रथम वसुधैव कुटुंबकम की भावना को स्वीकार किया था। हमने अपने अच्छाई को तलवार के बल पर नहीं बल्कि अपने कर्म के आधार पर अपने भारतीय ज्ञान विज्ञान की उज्जवल परंपरा को फैलाया। हमने कभी एक हाथ में वेद और दूसरे हाथ में तलवार का सहारा नहीं लिया।
विद्या भारती भारत की श्रेष्ठ परंपरा को बनाए रखने के लिए ज्ञान विज्ञान से ओतप्रोत शिक्षा, विद्या व ज्ञान की परंपरा को आगे बढ़ाने का काम कर रही है। आप सभी प्रशिक्षार्थी नई शिक्षा नीति को आगे बढ़ाने में अपने जिम्मेदारी का निर्वहन करें जिससे भारत माता का गौरव और बढ़ेगा । शिशु शिक्षा समिति गोरक्ष प्रांत के प्रदेश निरीक्षक श्री राम सिंह जी ने कहा विद्या भारती का लक्ष्य यदि आप आत्मसात कर ले तो नई शिक्षा नीति आत्मसात हो जाएगी। इसके पूर्व विद्यालय के प्रधानाचार्य व संकुल प्रमुख श्री राकेश मणि त्रिपाठी ने अतिथियों का परिचय कराया। उक्त अवसर पर बालिका विद्यालय की प्रधानाचार्या श्रीमती अंजू चौहान समेत सभी आचार्य बंधुओं व आचार्य बहनों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।