Monday, June 10, 2024
साहित्य जगत

हिंद का पूरा जीवन हिंदी…

हिंद का पूरा जीवन हिंदी, हिंदी गंगा जल सी पावन,
लगती हर मन को मन भावन ।
अपना ज्ञान बाँटो जग से,
अपनी मातृभाषा टीवी युगहिंदी में।

मत हिचको मत कोई भ्रम पालो ,
डटकर लो थाम इसका आंचल।

हिंदी हिंद की पहचान
हर जनमानस की आन बान
मान है हिंदी।
हिंदी हैं अपनी मां जैसी,
जैसे जीवन अधूरा बिन माँ के,
वैसे ही तुम अनाथ बिन हिंदी के।
हर भाषा से पहले हिंदी को
सम्मान दो,
हिंदी हैं सेतु प्राचीन और
आधुनिक ज्ञान के बीच का।
हिंदी है सरल सी, है मीठी सी भाषा अपनी हिंदी ।
है इसका अंदाज सरल लगती है यह दूर से गरल जैसे ही तुम पास जाओगे लगती बिल्कुल आसान, अपनी सी, अनूठी सी ,कंचन सी लाडली बेटी ।
है इसमें अपनापन।
‘है शामिल आठवी अनुसूची
में अन्य 21 भाषाओं संग,
हैं मिला इसे विशिष्ट स्थान। हैं यह ।। राज्यों, 3 संघ शासित क्षेत्रों की सिरमौर भाषा।
है यह उतनी ही अपनी, जितनी इस देश की मिट्टी।
आती है हिंदी से खुश्बू हर त्योहर की, हर व्यंजन की।
आओ सृजन करे हिंदी में, जाने पहचाने रस , छंद अलंकार,
दे मातृभाषा को मान।

बोलो लिखो पढ़ो हिंदी में, करो सदा यही पुनीत प्रयास।
देश की आन ,बान ,शान हम सबकी अपनी हिंदी,
हिंदी मेरे माथे की बिंदी।
हिंदी गगन का चंद्रमा ,
हिंदी का आओ गौरव गान करें।
हिंदी का सही मान बढ़े ऐसा कुछ काज करें ।
शुद्ध हिंदी ही बोले निज भी,
प्रेरित अन्य जनो को भी कर जाए।

हिंद का पूरा जीवन हिंदी, हिंदी गंगा जल सी पावन, लगती हर मन को मनभावना।
हिंदी अपनी बड़ी सांस्कारिक ।
बडो को आप बतलाती कहना,
देती छोटो को नेह का संबल।

हिंदी की हर बात निराली, स्वर व्यंजन की महिमा न्यारी ।
सन्धि समास के जैसा घुलना मिलना सिखलाती।
हिंदी हिंद की पहचान
हिंदी जनमानस की प्यारी बेटी
हिंदी में जो जैसे कहते
वैसे ही लिखते,
जो जैसे लिखते वैसे ही पढ़ते,
नही है इसमें कोई हेरफेर।
करते है सारे ही अक्षर
हमसे संवाद,
रहता नही है कोई भी अक्षर चुप।
हिंदी मे मिलता आधे
अक्षर को भी उचित आदर
स्थान।
है अपनी हिंदी बड़ी ही वैज्ञानिक भाषा ,
संस्कृत है इसकी जननी,
है यह बड़ी बेटी संस्कृत की,
देवनागरी लिपि है अति सुंदर इसकी।
गुणो की खान है हिंदी ,
है यह संवाद की भाषा
नहीं है यह अनुवाद की भाषा।
जोड़ती जन मानस को एकता के सूत्र में।
हिंदी हैं हम हिंदी ही अपना गौरव गान ।
रिश्ते को सहेजती समेटती हिंदी,
हर रिश्ते को प्यारे-प्यारे संबोधन देती अपनी हिंदी ,
ताऊ- ताई ,चाचा -चाची, मामा- मामी ,बुआ -फूफा, जीजी- जीजा,
अनगिनत प्यारे रिश्ते हिंदी में हम कहते ,सबको बुलाते अलग-अलग प्यारे नामों से, अंग्रेजी में है सब आंटी अंकल।
हिंदी मानो हिंदी जानो,
हिंदी को अपनाओ।
हिंदी में ही हस्ताक्षर कर अपना मान बढ़ाओ।
महिमा करती है हिंदी की महिमा का वंदन खुले कंठ से बारंबार।

जय हिंदी जय हिंद।

स्वरचित
शब्द मेरे मीत
डाक्टर महिमा सिंह
लखनऊ उत्तर प्रदेश