Tuesday, July 2, 2024
साहित्य जगत

हिन्दी का मान करें, जन जन मे गुणगान करें

हिन्दी हमारी मातृभषा
जीवन की परिभाषा
इसके बिना अधूरे हम
आशा बन जाती निराशा

हिन्दी का मान करें
जन-जन में गुणगान करें
होगी राष्ट्रभाषा एक दिन
हिन्दी पर अभिमान करें

हिन्दी में सोचा है हमने
हिन्दी में बोला है हमने
आंग्ल को लिखा पढ़ा
हिन्दी में समझा है हमने

है कई क्षेत्रीय भाषाएँ भी
मिलती जुलती आशाएं भी
दृढ शक्ति से बन जायेगी
हिन्दी में परिभाषाएं भी

स्वरचित मौलिक रचना
सरिता त्रिपाठी
लखनऊ, उत्तर प्रदेश