जयन्ती की पूर्व संध्या पर याद किये गये मशहूर शायर फिराक गोरखपुरी
बस्ती । मशहूर शायर फिराक गोरखपुरी को 127 वीं जयन्ती की पूर्व संध्या पर याद किया गया। शनिवार को कलेक्ट्रेट परिसर में प्रेमचंद साहित्य एवं जनकल्याण संस्थान और वरिष्ठ नागरिक कल्याण समिति की ओर से आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने उनकी शायरी से जुड़े अनेक पहलुओं पर विस्तार से विमर्श किया।
मुख्य अतिथि साहित्यकार एवं वरिष्ठ चिकित्सक डा. वी.के. वर्मा ने कहा कि ‘बहुत पहले से उन कदमों की आहट जान लेते हैं ’तुझे ऐ जिंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं’’ ‘आई है कुछ न पूछ कयामत कहाँ कहाँ, उफ ले गई है मुझ को मोहब्बत कहाँ कहाँ’’ जैसी अनेक गजलों के रचयिता शायर फिराक गोरखपुरी की शायरी युगो तक लोगों को दिशा देती रहेगी।
संचाालन की कड़ी में वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम प्रकाश शर्मा ने कहा कि मीर तकी मीर और मिर्जा गालिब के बाद हिन्दुस्तान में उर्दू का सबसे महान शायर माना जाता है। उर्दू जबान और अदब की तारीख फिराक गोरखपुरी के बिना अधूरी है। आज भी उनकी शायरी को उसी सिद्दत से पढा, सुना और गुनगुनाया जाता है। उनकी शायरी में इन्सान के भीतर की संवेदनायें मुखरित होती है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये वरिष्ठ साहित्यकार सत्येन्द्रनाथ मतवाला ने कहा कि फिराक की शुरुआती शायरी यदि देखें, तो उसमें जुदाई का दर्द, गम और जज्बात की तीव्रता शिद्दत से महसूस की जा सकती है। अपनी गजलों, नज्मों और रुबाइयों में वह इसका इजहार बार-बार करते हैं- “वो सोज-ओ-दर्द मिट गए, वो जिंदगी बदल गई, सवाल-ए-इश्क है अभी ये क्या किया, ये क्या हुआ।’’ फिराकगोरखपुरी ने गुलाम मुल्क में किसानों-मजदूरों के दुःख-दर्द को समझा और अपनी शायरी में उनको आवाज दी। ऐसे महान शायर फिराक युगों तक याद किये जायेंगे।
विशिष्ट अतिथि बी.के. मिश्रा ने कहा कि फिराक की शख्सियत में इतनी पर्तें, इतने आयाम, इतना विरोधाभास और इतनी जटिलता थी कि वो हमेशा से अध्येताओं के लिए एक पहेली बन कर रहे। तीन मार्च 1982 को भले ही फिराक साहब ने दुनिया को अलविदा कह दिया, लेकिन उनकी शायरी आज भी मौजूं है। फिराक गोरखपुरी की शायरी लोगों की जिन्दगी से जुडी है।
इस मौके पर अनेक साहित्यकारों, कवियों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में डा. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ चन्द्रबली मिश्र, डा. राजेन्द्र सिंह ‘राही, प्रदीप कुमार श्रीवास्तव, मो. सामइन फारुखी, एडवोकेट विनय कुमार श्रीवास्तव, गणेश, दीनानाथ, परमात्मा प्रसाद निर्दोष, ओम प्रकाशनाथ मिश्र, अजमत अली सिद्दीकी, बटुकनाथ शुक्ल, डा. अफजल हुसेन अफजल, बालकृष्ण चौधरी एडवोकेट, सौरभ उपाध्याय, मयंक कुमार श्रीवास्तव, लालजी पाण्डेय, पंकज कुमार सोनी, बी.एन. शुक्ल आदि ने फिराक गोरखपुरी को नमन् करते हुये उनकी शायरी पर रोशनी डाली।