Monday, May 20, 2024
हेल्थ

प्रसव पीड़ा हो तो तुरन्‍त एम्‍बुलेंस को करें काल, घर बैठकर दर्द बढ़ने का न करें इन्‍तजार

– समय पूरा होने पर दर्द रोकने की न खाएं दवाएं , गर्भवती को तुरन्‍त अस्‍पताल पहुंचाएं

संतकबीरनगर,।(केस –1) 30 जुलाई की शाम से ही मझगांवा निवासी संजू पत्‍नी सूरज को हल्‍की प्रसव पीड़ा शुरु हुई। परिजनों ने दर्द की गोली दे दी। रात 8.40 बजे जब प्रसव पीड़ा तेज हुई तो परिजनों ने 102 एम्‍बुलेंस सेवा को फोन किया। नाथनगर की एम्‍बुलेंस रात में मरीज लेने गई हुई थी। इसलिए खलीलाबाद की एम्‍बुलेंस मझगांवा में पहुंची तथा रात 9.30 बजे गांव से गर्भवती को लिया और खलीलाबाद के लिए रवाना हुई। अभी एम्‍बुलेंस अस्‍पताल से 1 किलोमीटर दूर थी तभी प्रसव शुरु हो गया। ईएमटी मुबारक अली और आशा कार्यकर्ता प्रमिला ने विधियानी में एम्‍बुलेंस रोककर प्रसव कराया तथा रात 10.20 बजे अस्‍पताल में ले जाकर भर्ती कराया।

केस – 2

2 अगस्‍त को सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य इकाई खलीलाबाद के अन्‍तर्गत आने वाले गौसपुर गांव की महमूदा खातून को रात तकरीबन 9 बजे से ही हल्‍की प्रसव पीड़ा हो रही थी। घर के लोग सुबह होने का इन्‍तजार करने लगे, लेकिन जब प्रसव पीड़ा तेज हुई तो रात में 2.49 बजे परिजनों ने एम्‍बुलेंस को फोन किया। 30 मिनट में एम्‍बुलेंस उनके घर पहुंची। वहां से लेकर दो किलोमीटर चले तो प्रसव होने लगा। इसके बाद गाड़ी रोककर ईएमटी महेन्‍द्र यादव व आशा कार्यकर्ता विमला देवी ने रात में 3.20 बजे प्रसव कराया।

दोनों ही घटनाओं में गर्भवती का प्रसव एम्‍बुलेंस में ही हो गया। यह जच्‍चा बच्‍चा के लिए घातक हो सकता था। अगर किसी गर्भवती का समय पूरा हो गया हो और उसे प्रसव पीड़ा शुरु हो गयी हो तो परिजन तुरन्‍त ही एम्‍बुलेंस को काल करें तथा अस्‍पताल पहुंचाएं ताकि माता व शिशु के प्राणों की रक्षा की जा सके। गर्भवती का जो समय घर में दर्द बढ़ने के इन्‍तजार में बीत रहा है वह समय अस्‍पताल में इन्‍तजार करके पूरा करें। ऐसा होने से गर्भवती को समय पर इलाज मिल सकेगा तथा चिकित्‍सकों के पास विषम परिस्थितियों से निबटने का पूरा समय रहेगा।

जिला चिकित्‍सालय की स्‍त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ शशि सिंह ने बताया कि आए दिन सुनाई पड़ता है कि अस्‍पताल में पहुंचने से पहले ही गर्भवती का एम्‍बुलेंस में ही प्रसव हो गया। पिछले एक महीने में ऐसी चार घटनाएं सामने आई हैं, इनमें गर्भवती को अस्‍पताल में पहुंचने से पहले एम्‍बुलेंस में ही प्रसव हो गया। डॉ शशि ने बताया कि जब महिलाओं के गर्भ पानी प्रसव पीड़ा से पहले ही धीरे धीरे डिस्‍चार्ज होना शुरु होता है। उसी समय परिवार के लोगों को सतर्क हो जाना चाहिए तथा दर्द शुरु होते ही एम्‍बुलेंस बुलाकर गर्भवती को नजदीकी प्रसव केन्‍द्र पर ले जाना चाहिए। पहली बार गर्भवती में समय ज्‍यादा लगता है। 12 से 14 घण्‍टे पहले ही प्रसव के लक्षण दिखने लगते हैं। उस समय जब वह अस्‍पताल पहुंच जाती हैं तो उसकी सारी जांच तो होती ही है, उसको बेहतर माहौल भी मिलता है। जब गर्भवती फुल टर्म में पहुंच जाए तो उसे दर्द की दवा चिकित्‍सक की सलाह पर ही लेनी चाहिए। मल्‍टी पैरा प्रेग्‍नेन्‍सी ( दो या अधिक बच्‍चों के होने की स्थिति में गर्भधारण ) में भी प्रसव पीड़ा चार से छ: घण्‍टे पहले होती है। बच्‍चा बाहर आने के तुरन्‍त बाद गर्भाशय की मालिश के साथ ही उसके संकुचन के लिए आवश्‍यक इंजेक्‍शन दिया जाना आवश्‍यक होता है। इसलिए गर्भवती को समय पर अस्‍पताल पहुंचाना चाहिए। प्रसव के दौरान अगर उसे और बेहतर इलाज की जरुरत महसूस होती है तो हायर सेण्‍टर रेफर किया जा सकता है। इसलिए जरुरत इस बात की है कि आशा कार्यकर्ता व एएनएम हर गर्भवती को इस बात के लिए प्रेरित करती रहें कि प्रसव पीड़ा का एहसास होते ही तुरन्‍त वह मौके पर पहुंचें, ताकि उनका समय से प्रसव कराया जा सके। आशा कार्यकर्ता प्रमिला बताती हैं कि हमने सभी गर्भवती को यह कह दिया है कि जब उन्‍हें प्रसव पीड़ा हो तो वह तुरन्‍त‍ बताएं, ताकि शीघ्र ही एम्‍बुलेंस मंगाई जा सके। अगर किन्‍हीं कारणों से प्रसव नहीं होगा तो गर्भवती के लिए फ्री में ही एम्‍बुलेंस में आने की व्‍यवस्‍था भी है।

अब तक एम्‍बुलेंस में हुए 17 प्रसव

जीवीके-ईएमआरआई एम्‍बुलेंस सेवा के प्रोग्राम मैनेजर अक्षत सिंह बताते हैं कि 1 अप्रैल 2022 से लेकर अब तक जनपद में एंबुलेंस में अब तक कुल 17 प्रसव हुए हैं। ये सभी प्रसव सकुशल हुए हैं तथा हमारे प्रशिक्षित ईएमटी ने सुगमतापूर्वक यह कार्य किया है। हमारे ईएमटी आपात स्थितियों में प्रसव कराने के लिए विशेष रुप से प्रशिक्षित हैं।

रास्‍ते में प्रसव होने पर जच्‍चा- बच्‍चा पर खतरा

उत्‍तर प्रदेश तकनीकी सहयोग इकाई ( यूपीटीएसयू ) के जिला तकनीकी विशेषज्ञ बताते हैं कि अक्‍सर यह हो रहा है कि एम्‍बुलेंस में प्रसव हो जा रहे हैं। प्रसव सफलता से हो जा रहे हैं यह अलग बात है, लेकिन अगर कहीं प्रसव के दौरान कोई विषम परिस्थिति यथा प्‍लेसेण्‍टा ( गर्भनाल ) अन्दर फंस जाए, बच्‍चा उल्‍टा हो जाए, गर्भाशय का संकुचन न हो, तो पैदा होने वाले बच्‍चे के साथ ही मॉ की भी जान को खतरा होता है। इसलिए यह जरुरी है कि हल्‍का सा भी दर्द हो और यह लगे की प्रसव से सम्‍बन्धित है तो तुरन्‍त ही एम्‍बुलेंस को काल करे अगर कोई गर्भवती समय पर अस्‍पताल पहुंचती हैं तो उसकी सभी प्रकार की जांच हो जाती है। उसका पार्टोग्राफ तैयार कर लिया जाता है, इससे गर्भवती की सारी जानकारी अस्‍पताल के स्‍टॉफ को हो जाती है। इसके बाद जब उसका प्रसव होता है तो स्‍टॉफ को सहूलियत मिलती है।