Wednesday, June 26, 2024
हेल्थ

कलस्टर मीटिंग करेंगी संगिनी, स्वास्थ्य सेवाओं को करेंगी मजबूत

मातृ-शिशु स्वास्थ्य समेत विभिन्न घटकों की दी रही है जानकारी

गोरखपुर।(गुरमीत सिंह)आशा संगिनी कलस्टर स्तर पर गुणवत्तापूर्ण बैठकें आयोजित कर गैप्स का पता लगाएंगी और स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती प्रदान करेंगी । इस संबंध में बीसीपीएम और आशा संगिनी का क्षमतावर्धन बीआरडी मेडिकल कालेज के एएनएम ट्रेनिंग सेंटर में किया जा रहा है। एक बैच का प्रशिक्षण समाप्त भी हो चुका है। प्रशिक्षण के दौरान मातृ-शिशु स्वास्थ्य समेत विभिन्न घटकों की जानकारी दी जा रही है।

प्रशिक्षण प्राप्त कर चुकी बरगदहीं कलस्टर की आशा संगिनी पप्पी तिवारी और घोड़ादेऊर कलस्टर की आशा संगिनी मंजू सिंह ने बताया कि इस क्षमतावर्धन के बाद कलस्टर बैठक में आशा कार्यकर्ताओं की चुनौतियों को सुनने और उनका समाधान करने में आसानी होगी । बीसीपीएम के दिशा-निर्देशन में कलस्टर बैठकों के दौरान संस्थागत प्रसव, नवजात शिशु देखभाल, उच्च जोखिम गर्भावस्था, नियमित टीकाकरण कार्यक्रमों के गैप्स को दूर कर गुणवत्तापूर्ण सेवाएं दी जा सकेंगी ।

बीसीपीएम आरती त्रिपाठी ने बताया कि इस क्षमतावर्धन कार्यक्रम से आशा और आशा संगिनी की चुनौतियों में सहयोगात्मक पर्यवेक्षण देने में मदद मिलेगी । संगिनी इस स्तर तक दक्ष हो चुकी हैं कि वह अपने नेतृत्व में कलस्टर बैठकें कर सकेंगी ।

डीसीपीएम रिपुंजय पांडेय ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और यूपी-टी.एस.यू के सहयोग से क्षमतावर्धन कराया जा रहा है । प्रशिक्षण के दौरान बताया जा रहा है कि उच्च जोखिम वाली गर्भवती की पहचान करने और 2.5 किलो से कम वजन के बच्चे (लो बर्थ वेट) की ट्रैकिंग करने के बाद उनका बाद शीघ्र पंजीकरण किया जाए और सेवाएं दी जाएं ।

प्रशिक्षण के दौरान आशा संगिनी को क्लस्टर बैठक में आशा का क्षमतावर्धन कैसे करना और क्यों करना है, फैसिलिटेटर को किन बातों का ध्यान रखना है, इसके लिए कितनी प्रोत्साहन राशि मिलेगी, गर्भवती चिन्हीकरण कैसे करना है, गर्भ का पता चलते ही उनका पंजीकरण क्यों जरूरी है, जैसी जानकारियां भी दी जा रही हैं । मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आशुतोष कुमार दूबे और अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरसीएच डॉ. नंद कुमार के दिशा-निर्देशन में जिले के सभी 19 ब्लॉक के बीसीपीएम और आशा संगिनी का क्षमतावर्धन हो रहा है।

*हर 13 से 14 गांव पर एक आशा संगिनी*

डीसीपीएम ने बताया कि प्रत्येक 1000 की आबादी पर एक आशा कार्यकर्ता होती हैं जो समुदाय को स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ती हैं। करीब 13 से 14 गांव को मिला कर एक कलस्टर बनता है जिसके अन्तर्गत 20 से 30 आशा कार्यकर्ता होती हैं और एक कलस्टर की जिम्मेदारी एक आशा संगिनी की होती है। सभी आशा संगिनी का सहयोगात्मक पर्यवेक्षण बीसीपीएम के द्वारा किया जाता है ।