Saturday, May 18, 2024
बस्ती मण्डल

श्रावणी उपाकर्म एवं वेद प्रचार सप्ताह संपन्न योगेश्वर श्रीकृष्ण को बताया आदर्श महापुरुष

बस्ती। आर्य समाज ने बाजार बस्ती में आयोजित श्रावणी उपाकर्म एवं वेद प्रचार कार्यक्रम का समापन श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर आयोजित विशेष वैदिक यज्ञ के साथ हुआ आचार्य ओमव्रत ने वैदिक मंत्रों से आहुतियाँ दिलाते हुए यजमानों को बताया कि तप और स्वाध्याय से जीवन आदर्श बन जाता है। जिसके जीवन में तप नहीं होता वह हर पल पतन को प्राप्त होता है। बताया कि योगेश्वर श्रीकृष्ण के जीवन चरित्र का अनुसरण व अनुकरण करना चाहिए। इस अवसर पर विद्वानों द्वारा उनका अनुकरणीय व उज्ज्वल चरित्र लोगों के समक्ष प्रवचन व भजनों के माध्यम प्रस्तुत किया गया। आचार्य ओमव्रत ने कहा कि श्रीकृष्ण को योगेश्वर भी कहा जाता है क्योंकि योग साधना, संध्या, दैनिक अग्निहोत्र व यज्ञमय कार्य उनके जीवन के अभिन्न अंग थे। पर आज बड़े दुख का विषय है कि उनके चरित्र को स्वयं उनके ही भक्तों द्वारा ही दूषित किया जा रहा है। उनके नाम पर रासलीला कराना व उन्हें माखनचोर, रसिया व छलिया बताना उनका घोर अपमान करना है इसे ही प्रज्ञापराध कहते हैं जिसके दण्ड से कोई बच नहीं सकता। श्रीकृष्ण का चरित्र देखना है तो गीता व महाभारत में देखो। भागवत पुराण में श्रीकृष्ण के चरित्र को कलंकित किया गया है उसे पढ़ना व पढ़ाना सुनना व सुनाना नहीं चाहिए। बताया कि श्रीकृष्ण बहुत विद्वान कूटनीतिज्ञ थे। इसीलिए उन्होने गोपियों के माध्यम से कंस के अत्याचार व राज्य व्यवस्था की विधिवत जानकारी करके बड़ी चतुराई से पापी कंस को समाप्त किया। वर्तमान में राधा को उनकी प्रेमिका के रूप में प्रस्तुत कर महापाप किया जा रहा है जबकि राधा उनकी मामी थी और महिला गुप्तचरों की टोली राधा मण्डली का संचालन करके श्रीकृष्ण को उचित निर्देश देतीं थीं और वे श्रीकृष्ण से आयु में भी बहुत बड़ी थी। श्रीकृष्ण केवल रूक्मिणी के ही पति थे। भजनोपदेश करते हुए पण्डित नेम प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि योगेश्वर श्रीकृष्ण ने वैदिक संस्कृति का प्रसार करने के लिए दुर्जनों का विनाश एवं सज्जनों का संवर्द्धन किया। उन्होने लघु भारत को महाभारत बनाया बिखरे राजाओं को एकता के सूत्र में बाॅधा और वैदिक धर्म का यत्र तत्र सर्वत्र प्रसार किया। इस अवसर पर ओम प्रकाश आर्य प्रधान आर्य समाज नई बाजार बस्ती ने संचालन करते हुए कहा कि हमें अपने धर्म संस्कृति की रक्षा के लिए पुनः वेदों की ओर लौटना होगा तभी हमारा देश विश्वगुरू हो सकेगा। आर्य समाज वैदिक संस्कृति को पुनः स्थापित करने हेतु कृतसंकल्प है।

इस अवसर पर मुख्य यजमान के रूप में गरुण ध्वज पाण्डेय, बामदेव मिश्र, गणेश आर्य, उपेन्द्र आर्य, विश्वनाथ, राजीव जैसवाल, पवन कुमार, अरविन्द साहू,जय प्रकाश चौबे, मोहिनी, नन्दिनी, आयुषी, मानसी, मीना, अंकिता, अयोध्या प्रसाद कसौधन,महिमा, अनिता जायसवाल, श्लोक, राधेश्याम, देवव्रत आर्य, शंकर जायसवाल, दिलीप कुमार, दिलीप कसौधन, अलख निरंजन आर्य, सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।