Sunday, July 7, 2024
साहित्य जगत

आजादी का अमृत महोत्सव

नमन हमारा वीरों को—

देशभक्ति और देश भक्त देश के अक्षुण्ण अंग है।
देश भक्ति व्यक्ति मे अंतर्निहित होती हैं। देश के प्रति अटूटू समर्पण भावन किसी भी प्रलोभन से जागृत नहीं हो सकती है।
देश की आजादी राष्ट्र का गौरव वीरों का सर्वोच्च अलंकार रहा है। असंख्य वीरों के लहू का कतरा जहाँ भी गिरा वह माटी धन्य हो गयी। इन वीरो ने माटी को चंदन बना दिया ।
“चंदन है इस देश की मिट्टी बच्चा बच्चा राम”
मंगल पांडे, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद ,वीर सावरकर ,रानी लक्ष्मीबाई महाराणा प्रताप ऐसे असंख्य नाम है l जिनके शौर्य को हम सुनके सोच के ही रोमांचित हो उठते हैं।

जो उपहार वीरों ने हमे दिया उसकी कृतज्ञता तो प्रकट करनी ही होगी हम सबको। इन्ही के कारण आज हम इस मिट्टी पर चैन पूर्वक सांस ले पा रहे है।
मरते दम तक अपनी जिद अपनी शर्तो पर कायम रहे |
क्या क्या नहीं सहा उन भारत माता के वीर सपूतो ने हम नमन उन्हें करते है मगर ये नमन क्या उन्हें स्वीकार है कभी हम और आप ये भी सोचे ! आप हम जहाँ केवल स्वयं के हित को साधने में लिप्त रहते हैं, क्या नमन करे उन वीरो को जिन्होने न अपना परिवार देखा, न अपनी आयु देखी सब कुछ न्यौछावर कर दिया तनिक क्षण की भी देरी लगाए बिना | ये नमन हैं अधूरा जब तक उनके दिए गए बलिदान को सही अर्थों में हम सम्मान नहीं दे पाएंगे जिन्होने देश सेवा को ही अपना परम धर्म और कर्तव्य माना देश प्रेम को अपना आभूषण । हम सम्मान पूर्वक नमन तभी कर पाएंगे जब हम कुछ भी करने से पहले एक बार देश और समाज के बारे में सोचेंगे फिर निर्णय लेंगे तभी यह नमन उन्हें स्वीकार्य होगा।

सुंदरता सभी को भाती हैं,
क्योकि हम प्रत्येक वस्तु में सुंदरता दूढ़ते हैं तो सुंदरता ऐसी हो कि लोग मरणोपरान्त सदियों तक स्मरण करे और उससे प्रभावित हुए बिना ना रह सके |
कितने ही भारत मां के वीर गुमनाम ही शहीद हो गए उनको कोटी कोटी नमन क्या हदय था उन लोगो
का ।
एक अदृश्य ऊर्जा उनके नाम- जेहन मे आते ही भर ‘जाती है धन्य थे वो लोग!
नतमस्तक हर भारतीय है।
वीरो के रक्त का इतिहास इतना गौरवशाली है उन्हें सुनने मात्र ही रोमान्च भर जाता है।
हमारे वीर अपने अप्रतिम शौर्य और पराक्रम से जो भारत हमें सौप कर गए हैं हमें एड़ी चोटी का जोर लगाकर रक्षित करना ही होगा । यह तभी संभव होगा जब हम आपसी स्वार्थ एवं वैमनस्य छोड़ पाएंगे। आइए जगाए सोता बचपन और सोता यौवन । कलम के सिपाहियों की भूमिका बड़ी अहम हो जाती है यहां हम बताएं उन्हें इनकी सच्ची कहानियां सच्चा इतिहास हमारा। हर वर्ग शामिल था इस शौर्य के बलिदान में चाहे वह किसान हो, व्यापारी हो ,छात्र हो या लेखक हो , सभी ने योगदान दिया था। अब हमारी बारी है।
हमारे वीरों के अप्रतिम शौर्य और पराक्रम के कारण हमारी भावी पीढ़ियां देश के प्रति निष्ठावान, आस्थावान होकर इस सर्वोच्च कृत्य की गौरव शाली गाथा का गौरव स्वयं दोहराने से पीछे नहीं हटेगी।

वीरो को सच्चा नमन हम समाज के सिपाही स्वयं बनकर ही अर्पण कर
सकते है। आइए स्वार्थ को त्याग राष्ट्र कल्याण यज्ञ मे आहूति देकर अपने वीरो को सच्ची श्रद्धांजलि दे।

रूह के रिश्तो की गहराइयां तो देखिए कि जब हमें चोट लगती है तो हम मां चिल्लाते हैं मगर ये देश प्रेम के दीवाने वंदेमातरम , भारत मां पुकारते थे और आज भी हवाओं और मिट्टी से वह आवाज गूंजती है सुन सको तो सुनो यही सच्चा नमन है उन्हें जो सुन पाओ तुम और दे पाओ जो वह चाहते थे सपनों का भारत उन को।
जय हिंद

शब्द मेरे मीत
डाक्टर महिमा सिंह
लखनऊ उत्तर प्रदेश