Saturday, May 18, 2024
हेल्थ

फाइलेरिया से बचाव की दवा के लिए आशा कार्यकर्ता से करें संपर्क

गोरखपुर।(गुरुमीत सिंह) जीवन को एक तरह से बोझ समान बनाने वाली फाइलेरिया जैसी बीमारी से बचाव की दवा पर्याप्त मात्रा में आशा कार्यकर्ताओं के पास उपलब्ध है। अगर किसी कारणवश दवा नहीं ले सके हैं तो क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता से संपर्क करें । दवा का सेवन उनके सामने ही करें। खुद दवा खाएं और पूरे परिवार को भीदवा खिलाएं । जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ)अंगद सिंह ने जनसमुदाय से यह अपील करते हुए कहा है कि अभियान 27 मई को समाप्त हो रहा है । इसके बाद जो लोग अभियान के दौरान छूट गये हैं उनके लिए एक से छह जून तक माप अप राउंड चलेगा और दवा खिलाई जाएगी। यह दवा पूरी तरह सुरक्षित और असरदार है।

जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि अगर पांच साल तक साल में एक बार दवा का सेवन किया जाए तो इस बीमारी से बचाव संभव है । इस दवा का सेवन दो साल से अधिक उम्र के सभी लोगों (गर्भवती व गंभीर तौर पर बीमार लोगों को छोड़कर) को करना है । दवा खाना खाने के बाद स्वास्थ्यकर्मियों के सामने ही खानी है । जिन लोगों के शरीर में परजीवी होते हैं, जब वह लोग दवा खाते हैं तो परजीवियों पर हमला होता है और कुछ लोगों में उल्टी, मिचली, सिरदर्द जैसे लक्षण सामने आते हैं लेकिन थोड़े ही समय में यह स्वतः समाप्त हो जाते हैं। अभियान के दौरान दवा का सेवन उन लोगों को अनिवार्य तौर पर करना है जिन्हें फाइलेरिया नहीं है । यह दवा एक प्रकार से फाइलेरिया के टीके की तरह है ।

*स्वास्थ्यकर्मियों ने किया है सेवन*

सहायक मलेरिया अधिकारी राजेश चौबे का कहना है कि अभियान के शुभारंभ के साथ ही सीएमओ समेत स्वास्थ्य विभाग के जिला स्तरीय सभी अधिकारी व कर्मचारी दवा का सेवन कर चुके हैं। ब्लॉक के स्वास्थ्यकर्मी भी दवा खा रहे हैं। दवा खाने से किसी प्रकार की दिक्कत नहीं हुई। क्षेत्र में दवा खिलाने के अभियान के दौरान जहां से भी इनकार हो रहा है वहां मलेरिया इंस्पेक्टर की टीम जाती है और पर्यवेक्षण के साथ-साथ लोगों को समझाने का कार्य कर रही है। अभियान में सामुदायिक सहभागिता के लिए प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल (पीसीआई) के संस्था के लोग कार्य कर रहे हैं। डब्ल्यूएचओ और पाथ संस्था के प्रतिनिधि सहयोगात्मक पर्यवेक्षण कर रहे हैं ।

*ऐसे होता है फाइलेरिया*

डीएमओ ने बताया कि जब खास प्रकार का क्यूलेक्स मच्छर फाइलेरिया संक्रमित व्यक्ति को काटने के बाद किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो उसे भी संक्रमित कर देता है, लेकिन संक्रमण का यह लक्षण आने में पांच से पंद्रह साल तक भी लग जाते हैं । इससे या तो संक्रमित व्यक्ति को हाथीपांव हो जाता है, जिसमें हाथ, पैर, स्तन सूज जाते हैं अथवा हाइड्रोसील हो जाता है जिसमें अंडकोष सूज जाता है। हाथीपांव के साथ जीवन का निर्वहन कठिन हो जाता है। इन स्थितियों से बचने का एक ही उपाय है कि दवा का सेवन किया जाए।