Monday, July 1, 2024
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चरित्र निर्माण शिविर के चौथे दिन शारीरिक कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रशिक्षक विनय द्वारा बच्चों को अभ्यास कराया गया

बस्ती 25 मई। सनातन धर्म संस्था द्वारा भारत विकास परिषद व अन्य संस्थाओं के सहयोग से आयोजित चरित्र निर्माण शिविर के चौथे दिन शारीरिक कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रशिक्षक विनय द्वारा बच्चों को लाठी के प्रहार, सुरक्षा, रणमार एवं रोक और रणमार बैठी का अभ्यास कराया गया साथ ही त्रिदेश मुष्टि प्रहार, संयुक्त मुष्टि प्रहार, व्याघ्रनख प्रहार, सर्पमुख प्रहार तथा श्येन प्रहार का विधिवत अभ्यास कराया गया। शिविर निरीक्षण के दौरान भारत विकास परिषद के अध्यक्ष डॉ डी के गुप्ता ने बच्चों को बताया कि विचार मनुष्य की सबसे बड़ी सम्पत्ति है। विचारशीलता की गति किशोरावस्था के प्रारम्भ में अत्यधिक होती है। इस अवस्था में बालक किसी को भी अपना आदर्श मानकर उसकी ओर आकर्षित होने लगता है। ऐसे में उसे सही मार्गदर्शन की विशेष आवश्यकता होती है अन्यथा भ्रमित होकर वह अपने मार्ग से विचलित भी हो सकता है। इसके अलावा उन्होने बच्चों को पाखण्ड व अन्धविश्वास से दूर रहने की प्रेरणा दी। द्वितीय बौद्धिक सत्र में सौरभ तुलस्यान ने वैदिक गणित की प्राचीनता, विशेषता बताते हुए बच्चों को गणित के प्रमुख सूत्र भी बताए। योग शिक्षक प्रशिक्षक गरुणध्वज पाण्डेय ने बच्चों को एकाग्रता के लिए योग व प्राणायाम की आवश्यकता विषय पर विस्तार से समझाया। यज्ञ का प्रशिक्षण देते हुए प्रशिक्षक दीपक ने बताया यज्ञ के तीन अर्थ हैं देव पूजा, संगतिकरण एवं दान। जिस कर्म का फल सब में बॅटे उसे यज्ञ कहते है। यज्ञ का मुख्य उद्देश्य मानसिक भावनाओं तथा पर्यावरण को शुद्ध करना है यज्ञ से आत्मिक सुख-शान्ति मिलती है जो प्रतिदिन यज्ञ करता है, वह देवत्व को प्राप्त होता है। ऋषियों ने सभी शुभ कर्मों को यज्ञ का दर्जा दिया है। शिविर संचालक भृगुनाथ त्रिपाठी पंकज ने बताया कि चरित्र निर्माण शिविर के उद्देश्य, कर्तव्य, चरित्र, अनुशासन, स्वास्थ्य आदि का ज्ञान शिविरार्थियों को अत्यन्त सरल तरीके से दिया जा रहा है ताकि यह वीरों एवं वीरांगनाओं के शरीर से सुदृढ़ विचारों में प्रबुद्ध, और कर्तव्य पथ पर अडिग बन सकें। इस अवसर पर बच्चों ने अलग-अलग टोलियों में सेवा और स्वच्छता कार्य किया। जिसके अन्तर्गत अतिथि सेवा एवं पर्यावरण के प्रति सजगता का प्रशिक्षण दिया गया साथ ही प्रकृति प्रेम एवं जीवों के प्रति दया भाव रखते हुए आपसी भाईचारे की भावना का पाठ भी पढ़ाया गया। प्रशिक्षिका ज्योति व योग शिक्षिका शन्नो दुबे ने बालिकाओं को सर्वांग सुन्दर व्यायाम एवं ध्यान का अभ्यास कराया।
शिविर का निरीक्षण शिक्षक अनिरुद्ध त्रिपाठी, डॉ संजय द्विवेदी, आर्थोपेडिक सर्जन डॉ आलोक पाण्डेय, डॉ रोहन दूबे ने किया।