Saturday, May 18, 2024
हेल्थ

’’शीध्र स्तनपान-केवल स्तनपान’’ का संदेश देगी पोषण पाठशाला

वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से 26 मई को होगा आयोजन

गोरखपुर। बाल विकास विभाग द्वारा जन-मानस एवं लाभार्थियों को विभाग की सेवाओं, पोषण प्रबन्धन, कुपोषण से बचाव के उपाय, पोषण शिक्षा आदि के संबंध में जागरूक करने के लिए ’’पोषण पाठशाला’’ का आयोजन 26 मई को अपरान्ह् 12 से 02 बजे के मध्य एनआईसी के माध्यम से वीडियो कान्फ्रेंन्सिंग द्वारा किया जायेगा। इस कार्यक्रम का मुख्य थीम ’’शीध्र स्तनपान-केवल स्तनपान’’ है। यह जानकारी जिला कार्यक्रम अधिकारी हेमंत सिंह ने दी। उन्होंने जन सामान्य से नियत तिथि पर वेब लिंक से जुड़ने की अपील भी की है।

उन्होंने बताया कि पोषण पाठशाला में विभागीय अधिकारियों के अतिरिक्त विषय विशेषज्ञों द्वारा शीध्र स्तनपान-केवल स्तनपान की आवश्यकता, महत्व, उपयोगिता आदि के सम्बन्ध में हिन्दी में विस्तार से चर्चा की जायेगी तथा वीडियो कान्फ्रेन्सिंग के माध्यम से लाभार्थियों व अन्य द्वारा पूछे गये प्रश्नों का उत्तर दिया जायेगा। इस कार्यक्रम का लाइव वेब-कास्ट भी किया जायेगा, जिसका वेब लिंक http://webcast.gov.in/up/icds है।

श्री सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (एनएफएचएस-05) के अनुसार उत्तर प्रदेश में शीध्र स्तनपान (जन्म के एक घंटे के अंदर नवजात शिशु को स्तनपान) का दर 23.9 प्रतिशत है और छः माह तक के शिशुओं में ’’केवल स्तनपान’’ का दर 59.7 प्रतिशत है। शिशुओं में शीध्र स्तनपान व केवल स्तनपान, उनके जीवन की रक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है, परन्तु ज्ञान के अभाव और समाज में प्रचलित विभिन्न मान्यताओं व मिथकों के कारण यह सुनिश्चित नही हो पाता है, जो कि उनके स्वास्थ्य के लिए घातक सिद्ध होता है। इसके लिए माह मई व जून में प्रदेश में नो वाटर, ओनली ब्रेस्टफीडिंग कैंपेन (पानी नहीं, केवल स्तनपान ) चलाया जा रहा है।

मां का दूध शिशु के लिए अमृत के समान है। शिशु एवं बाल मृत्यु दर में कमी लाने के लिए यह आवश्यक है कि जन्म के एक घंटे के अन्दर शिशु को स्तनपान प्रारम्भ करा देना चाहिए व छः माह की आयु तक उसे केवल स्तनपान कराना चाहिए, परन्तु समाज में प्रचलित विभिन्न मान्यताओं व मिथकों के कारण केवल स्तनपान सुनिश्चित नही हो पाता है। मां एवं परिवार को लगता है कि स्तनपान शिशु के लिए पर्याप्त नही है और वह शिशु को अन्य चीजें जैसे कि घुट्टी, शर्बत, शहद, पानी, पिला देती है। स्तनपान से ही शिशु की पानी की भी आवश्यकता पूरी हो जाती है। इसलिए शीध्र स्तनपान केवल स्तनपान की अवधारणा को जन-जन तक पहुंचाना है। वयस्कों की तरह उसके भी पानी की आवश्यकता होगा। अतः उसे पानी देने का प्रचलन बढ जाता है और शिशुओं में केवल स्तनपान सुनिश्चित नही हो पाता है साथ ही शिशु में दूषित पानी के सेवन से संक्रमण से दस्त आदि होने की भी सम्भावना बढ जाती है।

दिये गये हैं दिशा-निर्देश
जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि बाल विकास विभाग के सभी मुख्य सेविकाएं, आशा, आशा संगिनी, आंगनबाडी कार्यकत्री एवं मिनी आंगनबाडी कार्यकत्री भी वेब लिंक http://webcast.gov.in/up/icds के माध्यम से इस कार्यक्रम से जुडेंगी। आंगनबाडी कार्यकत्रियां अपने स्मार्ट फोन के द्वारा वेब लिंक के माध्यम से इस कार्यक्रम से जुडेंगी। समस्त आंगनबाडी कार्यकत्रियों द्वारा अपने केन्द्र पंजीकृत अन्तिम त्रैमास की गर्भवती महिलाएं, धात्री माताएं/उनके अभिभावक की उपिस्थति सुनिश्चित की जायेगी। जो लाभार्थी किसी कारण से केन्द्र पर नही आ पायेंगे वे यथा सम्भव अपने घरों से वेब लिंक के माध्यम से इस कार्यक्रम से जुडेंगे यदि उनके पास स्मार्ट फोन की सुविधा उपलब्ध होगी। समस्त बाल विकास परियेाजना अधिकारी सुनिश्चित करेंगे कि परियोजना की सभी आंगनबाडी कार्यकत्री इस कार्यक्रम में वेब लिंक के माध्यम से जुडें तथा आंगनबाडी केन्द्र पर लाभार्थियों की उपस्थिति सुनिश्चित करें।