Tuesday, July 2, 2024
हेल्थ

मच्छरों को पनपने से रोकें,मलेरिया ही नहीं फाइलेरिया से भी बचें

-सीएमओ ने जन-जन तक मच्छरों से बचाव का संदेश पहुंचाने की अपील की

गोरखपुर।(गुरूमीत सिंह)मलेरिया और फाइलेरिया दोनों के मच्छर गंदे पानी में ही पनपते हैं । ऐसे में मच्छरों से बचाव के उपाय पर अमल कर लिया जाए तो दोनों बीमारियों से बचा जा सकता है ।यहबातें मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने सोमवार को विश्व मलेरिया दिवस पर आयोजित गोष्ठी और मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) से संबंधित प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण (टीओटी) कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहीं । सीएमओ कार्यालय के प्रेरणा श्री सभागार में आयोजित दोनों कार्यक्रमों के दौरान मौजूद चिकित्सा अधिकारियों और स्वास्थ्यकर्मियों से अपील की गयी कि वह जन-जन तक मच्छरों से बचाव का संदेश पहुंचाने में योगदान दें ।

सीएमओ ने कहा कि लोग घरों के आस-पास एवं नालियों में गंदा पानी जमा न होने दें। नालियों की नियमित सफाई करें । पानी से भरे गड्ढों में मिट्टी भर दें। हैंडपंप के आसपास सीमेंट से पक्का फर्श व नाली बनवाएं। पानी के बर्तन व टंकी को ढककर रखें। कूलर, पशु-पंक्षियों के बर्तन, हौंदी को हफ्ते में एक बार अवश्य सुखाएं । टायर में पानी न जमा होने दें। सोते समय कीटनाशक से मेडिकेटेड मच्छरदानी का प्रयोग करें । ठहरे हुए तालाब या कुएं के पानी में गम्बूजिया मछली डालें । नालियों में मिट्टी का तेल डालें और पूरे बांह के कपड़े पहनें । इन सभी उपायों को किया जाए तो मच्छर पैदा ही नहीं होंगे या फिर मच्छरों के काटने की आशंका न के बराबर रह जाएगी । इससे फायदा यह होगा कि न तो मलेरिया का संक्रमण हो पाएगा और न ही फाइलेरिया का ।

डॉ दूबे ने कहा कि सावधानियों के बावजूदचार से आठ घंटे के चक्र में तेज बुखार, सिरदर्द, ठंड लगना, खांसी आना, मांसपेशियों में दर्द होना, छाती व पेट में दर्द, शरीर में ऐंठन होना, मल के साथ रक्त आना, पसीना आना और उल्टी जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत प्रशिक्षित चिकित्सक को दिखा कर उनकी सलाह पर मलेरिया की जांच कराई जानी चाहिए । मलेरिया की दवा शुरू की जानी चाहिए और यह तब तक बंद न किया जाए जब तक कि चिकित्सक सलाह न दें। लक्षण समाप्त होने पर भी मलेरिया का पूरा इलाज कराएं । मलेरिया की जांच और इलाज सभी राजकीय चिकित्सालयों में निःशुल्क उपलब्ध है । विश्व मलेरिया दिवस की थीम ‘‘मलेरिया रोग के बोझ को कम करने और जीवन बचाने के लिए नवाचार का उपयोग करें’’ को सार्थक बनाने के लिए सीएमओ ने सभी चिकित्सा अधिकारियों और स्वास्थ्यकर्मियों को शपथ भी दिलाई । सभी ने नारा लगाया है कि-हमने ठाना है, मलेरिया को मिटाना है ।

इस मौके पर एसीएमओ वीबीडीसी डॉ एके चौधरी, एसीएमओ डाक्टर गणेश प्रसाद यादव, जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह, सहायक जिला मलेरिया अधिकारी राजेश कुमार, पाथ संस्था के प्रतिनिधि डाक्टर ज्ञान और पीसीआई संस्था के प्रतिनिधिगण प्रमुख तौर पर मौजूद रहे ।

*घर-घर पहुंचाएं फाइलेरिया कार्यक्रम का संदेश*

सीएमओ ने इस मौके पर आयोजित टीओटी में अपील की कि मई में प्रस्तावित एमडीए कार्यक्रम का संदेश घर-घर पहुंचाया जाए। इस कार्यक्रम के तहत फाइलेरिया से बचाव की दवा दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और गंभीर रूप से बीमार को छोडकर सभी लोगों को निःशुल्क खिलाई जानी है। आशा कार्यकर्ता के सामने ही यह दवा खानी है ।

उन्होंने कहा कि इस अभियान के प्रति लापरवाही के चलते हाथीपांव या हाइड्रोसील की गिरफ्त में आ सकते हैं । हाथ, पैर, स्तन जैसे अंग फाइलेरिया के कारण सूज जाते हैं और पूरा जीवन एक बोझ बन कर रह जाता है । हाइड्रोसील की तो सर्जरी राजकीय अस्पतालों में निःशुल्क हो जाती है लेकिन अंगों का सूजन कभी भी पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाता । अंगों के सूजन की देखभाल के लिए स्वास्थ्य विभाग निःशुल्क मार्बिडिटी मैनेजमेंट किट प्रदान कर रहा है और लोगों को देखभाल का तरीका भी बताया जा रहा है ।

सीएमओ ने बताया कि पांच साल तक हर वर्ष एक बार फाइलेरिया की दवा का सेवन करने से इस बीमारी से बचा जा सकता है। फाइलेरिया के लक्षण नजर आते ही लाल कोठी स्थित फाइलेरिया जांच केंद्र में समय से जांच कर इलाज शुरू करवा देना चाहिए ताकि यह और गम्भीर न बन सके ।