Friday, July 5, 2024
बस्ती मण्डल

पुलिस की दोहरी नीति के चलते बाल हित, बाल न्याय प्रभावित हो रहा है-प्रेरक मिश्रा

बस्ती, 20 अप्रैल। लालगंज पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुये बाल कल्याण समिति की न्याय पीठ ने थानाध्यक्ष लालगंज उमाशंकर त्रिपाठी को नोटिस जारी करते हुये नाबालिग बालिका के प्रकरण में अब तक की गयी सम्पूर्ण कार्यवाही की आख्या के साथ पीठ के सम्मुख प्रस्तुत होने का आदेश जारी किया है। ये प्रकरण एक नाबालिग के भगाये जाने से जुड़ा हुआ है। ये मामला लालगंज थाना क्षेत्र के एक गांव का है।

नाबालिग के माता पिता ने समिति के समक्ष जो अभिलेख प्रस्तुत किया है उसके अनुसार भगाई गयी बालिका की जन्मतिथि 19 अप्रैल 2008 है। इस मामले में लालगंज पुलिस ने अपनी रिपोर्ट के साथ उप जिलाधिकारी सदर के सम्मुख आरोपी युवक और नाबालिग को प्रस्तुत किया। रिपोर्ट में नाबालिग को उसकी मौसी के रिपोर्ट के आधार पर नाबालिग करार दिया। इसे आधार मानकर उप जिलाधिकारी ने भी आरोपी सहित नाबालिग को यह मानते हुये छोड़ दिया कि दोनो बालिग हैं और अपनी जिंदगी का फैसला करने में सक्षम हैं। नाबालिग को युवक की सुपुर्दगी में दिया गया। युवक उसे लेकर बाहर चला गया और माता पिता अपमान का घूंट पीकर रह गये। इसके बावजूद नाबालिग बालिका के मां बाप पुलिस के उच्चाधिकारियों और कोर्ट का चक्कर लगाते रहे। अंततः लालगंज पुलिस को सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज करना पड़ा। अब पुनः उसी लालगंज पुलिस ने 19 अप्रैल को बालिका को नाबालिग बताते हुये रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी है।

लालगंज पुलिस द्वारा की गयी विवेचना त्रृटिपूर्ण और भ्रामक मानते हुये बाल कल्याण समिति की न्याय पीठ ने इस मामले में अब तक की गयी कार्यवाही की रिपोर्ट तलब किया है। बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष प्रेरक मिश्र ने बताया कि पुलिस की दोहरी नीति के चलते बाल हित, बाल न्याय प्रभावित हो रहा है। ऐसे में पुलिस की कार्यशैली में सुधार नही हुआ तो न्याय पीठ बाल अधिकारों के संरक्षण के लिये ठोस निर्णय लेने को स्वतंत्र है। आपको बता दें ऐसा ही मामला कुछ दिनों पहले पैकोलिया पुलिस से जुड़ा हुआ सामने आया था जिसमे पुलिस ने तथ्यों को छिपाकर भ्रामक रिपोर्ट प्रस्तुत किया था। संसदर्भिम मामले में भी पुलिस का रवैया संतोषप्रद नही है। इससे बाल हित और बाज संरक्षण प्रभावित होता है।