Sunday, May 19, 2024
धर्म

9 दिवसीय संगीतमयी श्रीराम कथा हवन, यज्ञ, भण्डारे के साथ सम्पन्न

बस्ती। अधर्म पर धर्म की विजय ही रामायण का सार है, राम धर्म का प्रतीक और रावण अधर्म का प्रतीक हैं। यह सद् विचार कथा व्यास स्वरूपानन्द जी महाराज ने नारायण सेवा संस्थान ट्रस्ट द्वारा आयोजित 9 दिवसीय संगीतमयी श्रीराम कथा दुबौलिया बाजार के राम विवाह मैदान में कथा को विश्राम देते हुये व्यक्त किया। उन्होंने पूरे नौ दिनों तक पूरे रामायण को सरस रूप से प्रस्तुत किया। कथा के अंतिम दिन उत्तर कांड पूरा कर रामराज्य की स्थापना तक करायी। महात्मा जी ने कहा कि उत्तर का अर्थ होता है अंतिम, उत्तीर्ण व मोक्ष, हमारे जीवन में जो पाप रूपी लंका नगरी में रावण का राज्य है उसका अंत कर देना है। राम-रावण की लड़ाई वास्तव में धर्म और अधर्म के बीच की लड़ाई है. राम-रावण का युद्ध तो त्रेता युग में हुआ। कथा में अध्यात्मिक रहस्य है। वास्तविक में व्यक्ति के अंदर धर्म और अधर्म के बीच संघर्ष चल रहा है. युद्ध में अपनी वानर, भालू की सेना लेकर भगवान ने लंका पर चढ़ाई की. अनेकों को राक्षसों का संहार किया। विशेषता यह कि श्रीराम ने जिसे मारा उसे तारने के दायित्व का भी निर्वहन किया।

महात्मा जी ने कहा कि रावण एक प्रवृत्ति है। उसके अंत के लिये श्रीराम की शरण लेना पड़ता है। जनम-जनम मुनि जतन कराही। अन्त राम कहि आवत नाहीं।। साधारण मनुष्य और परमात्मा में यही अन्तर है कि परमात्मा जिसे मारते हैं उसे तारते भी हैं। श्रीराम अति सहज है। निर्मल मन जन सो मोहि पावा। मोहि कपट छल छिद्र न भावा।। वे शरणागत की रक्षा करते हैं। रावण के अत्याचारों से त्रस्त होकर विभीषण जब श्रीराम के शरण में आये तो उन्होने विभीषण को गले लगा लिया । कहा कि श्रीराम कथा को जीवन में उतारकर रावण रूपी प्रवृत्तियों को नष्ट कर देने की आवश्यकता है।
हवन, यज्ञ, भण्डारे के साथ कथा ने विश्राम लिया। श्रीराम कथा के नौवंे दिन कथा व्यास का विधि विधान से मुख्य यजमान संजीव सिंह ने पूजन किया। आयोजक बाबूराम सिंह, डा. दीपेन्द्र सिंह, देवेन्द्र श्रीवास्तव, डा. शीला शर्मा, डा. सुशील शर्मा, कालिका सिंह, प्रेमशंकर द्विवेदी, राकेश पाण्डेय, मस्तराम सिंह, अनिल सिंह, प्रवीन त्रिपाठी, प्रीत कुमार शुक्ल, दयाराम सोनकर, शिव प्रसाद पाण्डेय, विजय नरायन पाण्डेय, अमर जीत सिंह, जय प्रकाश, नरेन्द्र गुप्ता, सत्यवान सोनी, राम कुमार, रन बहादुर यादव, जितेन्द्र सिंह, श्रीराम, हरिश्चन्द्र पाण्डेय, गंगासागर पाण्डेय, राजेश सिंह, कृष्णदत्त द्विवेदी, सुनील सिंह, अनूप सिंह, जसवंत सिंह, रामू, पंकज सिंह, कमला प्रसाद गुप्ता, राधेश्याम मिश्र, सत्यनरायन द्विवेदी, राजेश सिंह, दयाराम, रामकुमार अग्रहरि, गोरखनाथ सोनी, अजय सिंह, अरूण सिंह, भारत सिंह, डा. वी.के. मलिक, महिमा सिंह, विभा सिंह, इन्द्रपरी सिंह, सोनू सिंह, हर्षित, वर्धन, दीक्षा सिंह के साथ ही बड़ी संख्या में क्षेत्रीय नागरिक श्रीराम कथा में शामिल रहे।