Saturday, June 29, 2024
धर्म

नन्द घर अनन्द भयो, जय कन्हैया लाल की

   श्रीमद्भागवत कथा

बस्ती । जिसका शरीर सुन्दर है किन्तु हृदय विष से भरा हुआ है वही पूतना है। पूतना का विनाश होने पर ही कृष्ण मिलन हो पाता है। जीव भगवान की शरण ले तो उसके सभी पाप दूर हो जाते है। ‘‘ सन मुख होय जीव मोहि जबही। जन्मकोटि अघ नाशहुं तबही।। मनुष्य एक दूसरे को देव रूप मानने लगें तो कलयुग, सतयुग बन सकता है। भजन के लिये अनुकूल समय की प्रतीक्षा न करो, कोई भी क्षण भजन के लिये अनुकूल है। प्रत्येक क्षण को सुधारोगे तो मृत्यु भी सुधरेगी। यह सद्विचार कथा व्यास आचार्य रघुनाथ शास्त्री ने बैरियहवा में सिद्धनाथ उपाध्याय द्वारा आयोजित 9 दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा मंे व्यासपीठ से व्यक्त किया।
कथा में श्री कृष्ण जन्मोत्सव आनन्द के साथ मनाया गया। श्रद्धालु भक्तजनों ने श्रीकृष्ण के दर्शन कर अपनी प्रसन्नता को व्यक्त किया। ‘‘नन्द घर अनन्द भयो, जय कन्हैया लाल की, हाथी घोड़ा, पालकी’’ के बीच गुब्बारे उडाकर मिठाई का वितरण हुआ। अवतार कथा का विस्तार से वर्णन करते हुये महात्मा जी ने कहा कि सृष्टि में जब पापाचार, दुराचार बढ जाता है तो परमात्मा विविध रूप धारण कर नर लीला करते हुये पृथ्वी को पाप से मुक्त करते हुये सदाचरण सिखाते हैं। प्रत्येक अवतार के पीछे लोक मंगल की कामना छिपी है। ईश्वर भक्तों की सुख शांति के लिये स्वयं कितना कष्ट भोगते हैं यह भक्त ही जानते हैं। महात्मा जी ने कहा कि परमात्मा जिसे मारते हैं उसे भी तारते हैं। उन्हें सत्ता नहीं संत और सहजता प्रिय है। रावण का बध कर श्रीराम चन्द्र ने लंका का राज्य विभीषण को सौंप दिया और कन्हैया ने कंस का बध कर राज्य उग्रसेन को दे दिया।
महात्मा जी ने कहा कि जीवन कर्म भूमि है और उसका उचित अनुचित फल भोगना पड़ता है। जीवन को जितना सहज बनाकर प्रभु को अपर्ण करेंगे जीवन में उतनी ही शांति मिलेगी। मुख्य यजमान सिद्धनाथ उपाध्याय, श्रीमती आरती देवी ने विधि विधान से कथा व्यास का पूजन किया। श्रोताओं में मुख्य रूप से सन्त प्रकाश त्रिपाठी, डा. राम नरायन पाण्डेय, राखी दूबे, के.डी. पाण्डेय, सुरेन्द्र मिश्र, आलोक पाण्डेय, आनन्द पाण्डेय, राम दुलारे के साथ ही अनेक श्रद्धालु श्रोता उपस्थित रहे।