Tuesday, July 2, 2024
बस्ती मण्डल

शिवरात्रि आदियोगी सच्चे शिव को पहचानने का महापर्व है-ओम प्रकाश आर्य

बस्ती। यूँ तो महाशिवरात्रि पर्व आदियोगी भगवान शिव के विवाह दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारतीय जनमानस भगवान शिव को एक संहारक शक्ति के रूप में जनता है पर भारत के एक ऋषि महर्षि दयानंद सरस्वती ने जब विद्वानों से जब सच्चे शिव के स्वरूप के बारे में पूछा तो वो बगलें झांकने लगे। आर्य समाज इस दिवस को ऋषि बोध उत्सव के रूप में मनाता है। इस अवसर पर जिले की आर्य समाज मंदिरों में वैदिक यज्ञ कर आमजनमानस को शिव के सच्चे स्वरूप के बारे में समझाने के लिए विद्वानों प्रवचनों का आयोजन किया जाता रहा है। जिले के आर्य समाज के प्रधान ओम प्रकाश आर्य ने बताया कि गुजरात के टंकारा ग्राम में आज के शिवरात्रि के दिन ही दशकों पूर्व एक घटना घटी, एक छोटे से बालक मूलशंकर ने भी शिव भगवान के दर्शन की उत्कंठा से पूरे दिन शिवरात्रि का व्रत धारण किया और भगवान शिव के साक्षात दर्शन की लालसा में पूरी रात भर जागता रहा, मूर्ति का दर्शन तो उसे भी हो गया लेकिन वहां मूर्ति पर एक चूहे को देखकर यह धारणा हुई की यह सच्चे भगवान शिव नहीं हो सकते ! इसी घटना ने बालक मूलशंकर को झकझोर कर रख दिया, उसे शिवरात्रि को बोध हुआ, उसके ज्ञान चक्षु खुल गए ! इसी घटना को लेकर सच्चे शिव के साक्षात दर्शन करने की चाह में बालक मूलशंकर ने छोटी सी आयु में घर छोड़ दिया, वे भटकते हुए साधु बने, संन्यासी बने, योगी बने, एक लम्बी भ्रमण यात्रा करते हुए निकल पड़े कैलाश पर्वत की ओर ! आगे चलकर उस बालक ने संसार को अपनी प्राचीन आर्य संस्कृति और सभ्यता की सनातन वैदिक दिशा का दिग्दर्शन कराते हुए वह बालक महर्षि दयानंद सरस्वती के नाम से समस्त विश्व में प्रसिद्ध हुए । उन्होंने कहा कि महाशिवरात्रि अपने भीतर शिवत्व को जगाने का महापर्व है। योग को जगाने व योगमय जीवन बनाने का पर्व है। इस पावन पर्व पर हमें शिव बनकर राष्ट्र रक्षा का व्रत लेना चाहिए ताकि हम देश और समाज का उत्थान करते हुए शिवत्व को प्राप्त कर सकते हैं।