Saturday, May 18, 2024
बस्ती मण्डल

भक्ति के मार्ग में अहंकार को कोई स्थान नही

बस्ती । श्री बाबा झुंगीनाथ धाम में 7 दिवसीय श्रीराम महायज्ञ, श्रीराम कथा में व्यासपीठ से श्रीराम कथा को विस्तार देते हुये मार्कण्डेय जी महाराज ने कहा कि भक्ति के मार्ग में अहंकार को कोई स्थान नही है। भक्त का जिस रूप में समर्पण होगा उसे परमात्मा की छवि उसी अनुरूप दिखायी पड़ेगी। जीवन के जो चारो घाट और दिशायें हैं उसमें श्रीराम कथा की मानस गंगा प्रवाहित है। ज्ञान गंगा, भक्ति और उपासना की त्रिवेणी गंगा, यमुना, सरस्वती हमारे मानस को नवीन दृष्टि देती हैं।
महात्मा जी ने कहा कि कथा की सार्थकर्ता है कि जीव की व्यथा दूर हो। मानस में संसार का ऐसा कोई प्रश्न नही जिसका समुचित उत्तर निहित न हो। प्रयागराज और नदियों की महिमा का वर्णन करते हुये महात्मा जी ने कहा कि श्रीराम कथा से जीव सुधरता है और कुविचार के स्थान पर सुविचार का जन्म होता है। समय, सम्पत्ति और शक्ति का जो सदुपयोग करे वह देवता और दुरूपयोग करने वाला दैत्य है।
कथा को विस्तार देते हुये संतोष शरण जी महाराज ने कहा कि रामचन्द्र की मर्यादा का पालन करने से मन का रावण मरता है। जिसके मन में संसार विषय आते ही नही उसके लिये मुक्ति सुलभ है। जब बुद्धि में परमात्मा का वास होता है तो पूर्ण शांति मिलती है। इसके लिये मन पर नियंत्रण आवश्यक है। विविध प्रसंगो से कथा को जोड़ते हुये महात्मा जी ने कहा कि रघुनाथ का अवतार राक्षसों के बध के लिये नहीं वरन मनुष्यों को मानव धर्म सिखाने के लिये हुआ। श्रीराम मर्यादा पुरूषोत्तम हैं और कृष्ण पुष्टि पुरूषोत्तम। रामचन्द्र जी मर्यादा है तो श्रीकृष्ण प्रेम। मर्यादा और प्रेम को जीवन में स्थान मिलेगा तो जीवन सुखी होगा। मन के चंचलता की व्याख्या करते हुये महात्मा जी ने कहा कि सेवा में धन नहीं मन ही मुख्य है। सेवा का सम्बन्ध मन से है। परमात्मा सत्कर्म में सहायक होते हैं। ईश्वर की धर्म मर्यादा का उल्लंघन करने पर भक्ति सफल नहीं हो सकती। परमात्मा स्वयं कहते हैं तप और विद्या अति उत्तम है, उसे यदि विनय, विवेक का सहारा न मिले तो व्यर्थ है। यदि भक्ति शुद्ध है तो ज्ञान और वैराग्य दौड़े-दौड़े आयेंगे।
श्रीराम कथा में संयोजक धु्रवचन्द्र पाठक ने विधि विधान से आचार्यगणों का वंदन किया। मुख्य यजमान माता बदल पाठक, सीमा पाठक, गंगाराम चौधरी, गुड्डू तिवारी, शीतला जी गोसाई, रामकेवल यादव, राजेन्द्र यादव, अनिल पाठक, रामनिहोर चौधरी, शुभम पाठक, बब्बू तिवारी, विनोद पाण्डेय, धीरेन्द्र पाठक, विकास मिश्रा, हीरा दास, गुरु चरण, दामोदर, राम मिलन, बाबा जय प्रकाश दास सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु श्रोता कोविड नियमों का पालन करते हुये उपस्थित रहे।