Saturday, May 18, 2024
साहित्य जगत

गंगा स्नान

कार्तिक पूर्णिमा गंगा कय मेला
नदिया नहाये चलो न अकेला
चलो न अकेला चलो न अकेला
नदिया नहाये चलो न अकेला

गठरी मुड़े पे भारी न धारो
चना भुजैना जरुर बान्हो
उबहन लोटा साथे में लई लेव
राही कय अपने जतन कई लेव
जूनि जाई पहुँचय में अकेला
नदिया नहाये चलो न अकेला

दान दक्षिणा साथे में लई लेव
गंगा नहाई कय दान तू दई देव
शुभ दिन आज आईल है जव
ओकर तूही फल तव लई लेव
गऊ दान भी कय लेव अकेला
नदिया नहाये चलो न अकेला

देवत्थानी पे जागे थे भगवन
आज देव दिवाली है भगवन
दिया जलाई पर्व प्रकाश मनाओ
नानक के आज जन्मदिवस है
गुरु वाणी तू सुनि लेव अकेला
नदिया नहाये चलो न अकेला

मिलि गय देखव घाटे निरहुवा
सथवा में वनके बाटय खदेरुवा
रात पहर दुनो घरवा से निकरय
भोर होत नदिया नहईलय
देखव चबैना चबाये अकेला
नदिया नहाये चलो न अकेला

लागल बा देखो जलेबी कय ठेला
मनईन कय वह पे रेला पे रेला
तुहूँ जलेबी लई लेव अकेला
लरिकन जोहय बाट अकेला
पूड़ी कचौङी छने ला संझेला
नदिया नहाये चलो न अकेला

सरिता त्रिपाठी
लखनऊ, उत्तर प्रदेश