ग़ज़ल
ग़म को दिल से दूर भगाएं
हम खुशियों के दीप जलाएं
इतना भी वो दूर न जाएँ
दीप जलें और याद न आएँ
दुनिया को हम तुम चमकाएँ
आओ प्रीत के दीप जलाएँ
अधियारा धरती से मिटाएं
पग पग पे हम दीप जलाएं
दीवाली तब दीवाली है
जो रूठे हैं उनको मनाए
दिल की बात कहूं अब कैसे
पहले वो मेरे पास तो आए
मिट्टी का घर मिट्टी का तन
इस पे इतना क्यू इतरायें
वो घर अपने आए हर्षित
आओ हम तुम जश्न मनाएं
विनोद उपाध्याय हर्षित
अध्यक्ष प्रेस क्लब-बस्ती