Sunday, May 19, 2024
बस्ती मण्डल

पं0 दीनदयाल उपाध्याय जी के विचार आज भी प्रासंगिक

सिद्धार्थ नगर। सशक्त एवं प्रगतिशील भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ‘एकात्म मानववाद व अंत्योदय’ के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक नाम नहीं बल्कि एक विचारधारा थे। उनके विचार कल भी प्रासंगिक थे, आज भी हैं और कल भी रहेंगे। समाज में अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति का विकास पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का सपना था इसी सपने को आज सरकारें साकार करने में लगी हैं ।
उक्त बातें रघुवर प्रसाद जायसवाल सरस्वती शिशु मंदिर इंटर कॉलेज तेतरी बाजार के प्रधानाचार्य राकेश मणि त्रिपाठी ने कही। वह पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
आगे श्री त्रिपाठी ने उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी 20 वीं सदी के वैचारिक युगपुरुष थे। उनके दर्शन से आज के भारत की संस्कृति और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के साथ-साथ मानव को केंद्र बिंदु में रखकर ही राष्ट्र व समाज के स्थापना की प्रेरणा मिलती है। वह कल भी प्रासंगिक थे, आज भी हैं, कल भी रहेंगे। एकात्म मानववाद तत्कालीन जनसंघ और भाजपा के लिए ही नहीं वरन विश्व की मानव सभ्यता और संस्कृति के लिए एक पाथेय है। पं0 दीनदयाल जी एक एसे प्रखर विचारक, अर्थचिंतक, साहित्यकार, उत्कृष्ट संगठन कर्ता तथा एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे , जिन्होंने जीवन पर्यंत अपनी व्यक्तिगत ईमानदारी व निष्ठा को महत्व दिया। वे हिंदू राष्ट्रवादी तो थे ही इसके साथ ही साथ वे भारतीय राजनीति के पुरोधा थे उनकी कार्यक्षमता और परिपूर्णता के गुणों से प्रभावित होकर डॉ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी बड़े गर्व से सम्मान पूर्वक कहते थे कि मेरे पास दो दीनदयाल हों तो मैं भारतीय राजनीत का चेहरा बदल सकता हूँ। उनसे प्रेरणा लेकर आज का हर कार्यकर्ता राष्ट्रहित सर्वोपरि की भावना से निरंतर जनसेवा में लगा है ।आज उनके विचारों को आत्मसात करना उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
कार्यक्रम संयोजक व अंग्रेजी के प्रवक्ता आचार्य ज्ञान प्रकाश श्रीवास्तव ने कहा विलक्षण बुद्धि, सरल व्यक्तित्व व नेतृत्व के अनगिनत गुणों के स्वामी पंडित दीनदयाल जी की दृष्टि में विश्व का ज्ञान हमारी थाती है, मानव जाति का अनुभव हमारी संपत्ति है, विज्ञान किसी देश विशेष की बपौती नहीं वह हमारे ही अभ्युदय का साधन बनेगा। विश्व प्रगति के हम केवल द्रष्टा ही नहीं अपितु साधक हैं। आज उनके विचारों को यदि हम सभी आत्मसात करें तो सफलता हम सभी की कदम चूमेगी। कार्यक्रम में विद्यालय के भैया प्रखर मिश्र व हर्षित मालवीय ने भी पंडित दीनदयाल जी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन जयंती प्रमुख आचार्य दिलीप श्रीवास्तव ने किया। उक्त अवसर पर कार्यक्रम सहसंयोजक राज किशोर चौधरी, कृष्ण नाथ पांडेय तथा दिग्विजय नाथ मिश्र समेत समस्त आचार्य बंधुओं व छात्रों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।