प्रैक्सिस विद्यापीठ की छात्रा के मौत पर समाजसेवी चन्द्रमणि ने उठाए सवाल
बस्ती।प्रैक्सिस विद्यापीठ की 9वीं की छात्रा की मौत को सामान्य मौत करार देते हुए जिम्मदारों की जिम्मेदारी पर पर्दा डालना आसान है पर युं ही घटना यदि अपने घर के बच्चे के साथ हो जाय तो उसे सामान्य मान पाना बहुत कठिन होगा शोषल मीडिया पर उतने पोस्ट घटना के नहीं पडे जितने कि कल शिक्षण संस्थान के पक्ष में पडे।
बडा सवाल शिक्षण संस्था व उसमें कार्यरत लोगों का काम महज शिक्षा देना व अनुशासन के नाम पर दण्ड देना नहीं होता अपितु बच्चों की हर गतिविधि पर नजर रखना होता है।जो कि इस संस्थान में जरा सा भी नहीं था छात्रा ने इतना बडा कदम उठाया और कोई देख व जान नहीं पाया दूसरे एक छात्रा के बयान पर यह मान लेना कि होमवर्क पूरा न होने के चलते छात्रा ने इतना बडा कदम उठाया विश्वसनीय नहीं है छात्रा तो वही बोलेगी जो उससे बोलवाया जायेगा फिर भी यदि मान भी लें कि छात्रा अनुशासनहीन थी पढने में कमजोर थी होमवर्क पूरा नहीं करती थी और घटना जैसी दिखाई गई वैसी ही घटी।
तो भी क्या छात्रा का नोटबुक चेक किया गया यदि हां तो पूर्व में होमवर्क पूर्ण न होने का कितने बार नोटिस दर्ज है क्या उक्त शिक्षक का ही होमवर्क नहीं पूरा होता था या सबका छात्रा का लिखावट व पूर्व का रिजल्ट देखा गया या युं ही हमने उसे पढाई में कमजोर बता दिया घटना के पूर्व उसके परिजनों को कितने बार नोटिस देकर छात्रा की गतिविधि में सुधार लाने का सुझाव दिया गया।
अंत में इतना कहूंगा कि बिना साक्ष्य किसी को आरोपित भले ही न किया जाय किन्तु सामान्य परिवार की घटना को सामान्य व बडे परिवार की घटना को बडा करके न देखें।
इस घटना में जब परिजन ही शान्त व सहमत हैं तो किसे क्या कहा जाय
किन्तु किसी भी घटना का बडी ही सूक्ष्मता से जांच होना चाहिए ताकि भविष्य में पुनः ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो खैर दिवंगत छात्रा की आत्मा को ईश्वर शान्ति प्रदान करें।।