Tuesday, July 2, 2024
बस्ती मण्डल

राजकीय महाविद्यालय में समारोह पूर्वक मनाया गया हिन्दी दिवस

रुधौली/बस्ती।राजकीय महाविद्यालय, रुधौली, बस्ती में हिंदी विभाग की ओर से आज 14 सितंबर को हिंदी दिवस समारोह धूम-धाम से मनाया गया।इस अवसर पर महाविद्यालय में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें गीता यादव, रेनु, दया शंकर प्रसाद यादव, हरिकेश, कविता तथा अन्य विद्यार्थियों ने अपने विचार रखें। कार्यक्रम का शुभारम्भ महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. राजेश कुमार शर्मा जी द्वारा माँ सरस्वती जी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन तथा माल्यार्पण के साथ हुआ। समाजशास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ.जगदीश प्रसाद ने अपने विचार को रखते हुए कहा कि आज का दिन हम भारतीय के लिए पहचान और गर्व का दिन है क्योंकि हमारी मातृभाषा की शुद्धता पर प्रहार हुआ है। हिंदी अपनो से हारी है आज वैश्वीकरण के कारण हिंदी की यह स्थिति है। समस्त कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए तथा हिंदी पखवाड़े के तहत आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं में प्रथम, द्वितीय,तथा तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कृत करते हुए तथा उन्हें बधाई देते हुए प्राचार्य डॉ.राजेश कुमार शर्मा जी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि मातृभाषा, राजभाषा, राज्यभाषा, राष्ट्रभाषा, भावभाषा की अवतार है हिंदी। प्रेम, संवेदना, त्याग, समर्पण, भाव की अभिव्यक्ति और अनेक आयामों से रची बसी है हिंदी।। फिर भी आज हम इस मिशन में लगे हैं कि अपने इस भाषा को जन जन तक पहुंचाते हुए इसे विश्वव्यापी स्वरूप प्रदान कर सके। देवनागरी लिपि से ही हिंदी भाषा का सृजन हुआ है और जिन प्राचीन लिपियों की हम बात करते हैं उनमे देवनागरी लिपि भी आती है। लिपियों से ही भाषा की व्युत्पत्ति होती है और भारत में जितनी भी भाषाएँ है उनमे से 80%भाषाओ की व्युत्पत्ति देवनागरी लिपि से ही हुई है। उन्होंने कहा कि एक लंबी विरासत भी है इसकी, आज से लगभग चार हजार वर्ष पूर्व की विरासत है और यह बड़ी विडंबना है कि जिस भाषा को हम चार हजार साल से अपने अंदर आत्मसात किए हुए हैं उसे विश्वव्यापी स्वरूप देने के लिए हिंदी दिवस मना रहे हैं। सबसे पहले हमको यह चिंतन, मनन करना होगा कि आखिर हिंदी को उतनी सफलता क्यों नहीं मिल सकी जितनी मिलनी चाहिए। सुन्दरता और रागात्मकता आज के साहित्य से विलुप्त होते जा रहे हैं। हमें हिंदी भाषा के विभिन्न आयामों को अपनाना होगा तब जाकर हम हिंदी की मूल संस्कृति को फिर से स्थापित कर पाएंगे। हिंदी की विभागाध्यक्ष डॉ.शैलजा पांडेय ने इसके तमाम पहलुओ पर चर्चा करते हुए कहा कि हमें चिंतन मनन करके हिंदी की जड़ को जोड़ने व मजबूत बनाने की पूरी कोशिश करनी चाहिए। अपनी मातृभाषा को हम अपने घर में ही उपेक्षित कर रहे हैं। आज हमारी मातृभाषा का क्षय हो रहा है। हमें घर से ही हिंदी भाषा को महत्व देना होगा ताकि हमारी भाषा कहीं उपेक्षित न हों तब जाकर हमारी मातृभाषा मजबूत होगी। अन्त मे डॉक्टर शैलजा ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी के प्रति ह्रदय से धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्य्रकम का सफल संचालन गीता यादव ने किया। कार्यक्रम के दौरान महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापकगण तथा समस्त छात्र/छात्राएं रेनु, रूपेश, दयाशंकर, शांति, गुड़िया, अभय, सविता, अनीता सहित समस्त छात्र/छात्राएँ उपस्थित रहें।