Saturday, May 18, 2024
साहित्य जगत

हिन्दी दिवस

जब अनपढ़ थे बचपन में
पहला अक्षर “अ” पढ़ा
पूर्ण हुई जब वर्णमाला तो
अंतिम अक्षर “ज्ञ” पढ़ा

हिन्दी की है यही महानता
अनपढ़ को ज्ञानी बना दिया
मातृभाषा ने ही जीवन का
हर पहलू सिखला दिया

शर्म हमें क्यों है करना
हिन्दी भाषी कहलाने में
हिन्द की पहचान हिन्दी
कर्तव्य करें फैलाने में
©®सरिता त्रिपाठी
लखनऊ, उत्तर प्रदेश