ग़ज़ल
लौट कर न आऊँ तो इंतजार मत करना।
दिल को तुम कभी अपने सोगवार मत करना।।
उस अमीर इन्साँ पे जां निसार मत करना।
हर नये मुसाफिर का ऐतबार मत करना।।
तुम हमारी सांसों में बस गई हो जाने जां।
छोटी मोटी बातों पे दरकिनार मत करना।।
इस हसीन मौसम का, लुत्फ हम उठायेंगे।
वक्त है मुहब्बत का कोई रार मत करना।।
मतलबी ये दुनिया है ,प्यार इक दिखावा है।
दिल कभी किसी पे यू तुम निसार मत करना।।
जख्म कोई भी हर्षित सह नहीं वो पाएगा ।
वो बहुत ही नाजुक है उसपे वार मत करना।।
गिरह
ऐसे वैसे लोगों से आंखें चार मत करना।
मौसमी परिंदों का ऐतबार मत करना।।
विनोद उपाध्याय हर्षित
अध्यक्ष
प्रेस क्लब-बस्ती