Saturday, May 18, 2024
बस्ती मण्डल

सत्ता पक्ष द्वारा बदले की भावना से प्रेरित है-राम प्रसाद चौधरी

बस्ती । बीते जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार वीरेन्द्र चौधरी का नामांकन हो जाने से भाजपा प्रत्याशी का निर्वाचन निर्विरोध नही हो सका था। जिससे सत्ता पक्ष के जन प्रतिनिधि बौखला गये और उन्होंने प्रशासन पर दबाव बनाकर न सिर्फ उनके घर पर पुलिस का पहरा बैठाया बल्कि सपा उम्मीदवार तथा समर्थक व प्रस्तावको को तलाशने के लिए तमाम तरह की उत्पीड़ात्मक कार्यवाही भी की गयी। इसी बौखालाहट में शासन सत्ता के इशारे पर जिला प्रशासन ने उनके साथ साथ बेटे कविन्द्र उर्फ अतुल चौधरी, व उनकी पत्नी कपूरा देवी का शस्त्र लाइसेन्स विभिन्न राजनैतिक मुकदमों का हवाला देकर निलंबित कर दिया गया। जबकि सत्ताधारी दल के सांसद व विधायको पर कई संगीन मामलो में अभियोग पंजीकृत होने के बाद भी उनके शस्त्र लाइसेन्स न तो निरस्त किये गये और न ही निलम्बित करने की कोई नोटिस ही दी गयी। उक्त बातें पूर्वांचल में कद्दावर कुर्मी छत्रप के नाम से राजनीति में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले पूर्व कैबिनेट मंत्री राम प्रसाद चौधरी ने व्यक्त किया।

अपने आवास पर मीडिया से रूबरू हुए पूर्व कैबिनेट मंत्री राम प्रसाद चौधरी ने कहा कि उनका लम्बा राजनैतिक इतिहास रहा है। जितने लम्बे समय से वह राजनीति में सक्रिय है, उतने समय से कुछ गिने चुने राजनेता की ही सक्रियता है।

उन्होने कहा कि 1989-90 के लोक सभा चुनाव में जनता के आशीर्वाद से वह पहली बार देश की सबसे बड़ी पंचायत लोक सभा में पहुंचे थे। इसके बाद 1993 से लेकर 2017 तक लगातार उत्तर प्रदेश की विधानसभा कप्तानगंज का उन्होने पांच बार विधानसभा में प्रतिनिधित्व किया। 1980 से लगातार राजनैतिक जीवन में वह नियमित जनता के साथ खड़े होकर सड़क से लेकर सदन तक उनकी आवाज को बुलंद करते रहे है। लेकिन जिस तरह का आरोप लगाकर उनका व उनके परिवार के लोगो का शस्त्र लाइसेन्स निरस्त किया गया यह पूरी तरह से सत्ता पक्ष द्वारा बदले की भावना से प्रेरित है।

उन्होंने कहा कि 26 जून 2021 को जिला पंचायत अध्यक्ष का नामांकन था। जिसमें सपा उम्मीदवार वीरेन्द्र चौधरी का नामांकर उनके देखरेख में हुआ। जब दाखिले के बाद पर्चा बैद्य हो गया तो सपा के उम्मीदवार समर्थक, प्रस्तावक के अलावा पार्टी के जिलाध्यक्ष तथा उनके आवास पर तमाम तरह की उत्पीड़ात्मक कार्यवाहियां की गयी। 27 जून को पूरे 24 घण्टे पार्टी उम्मीदवार के ईंट भट्टे से लेकर उनके आवास को छावनी में तब्दील रखा गया। जब पर्चा नही उठा और भाजपा का उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित न हो सका तो शासन सत्ता से जुड़े जन प्रतिनिधियों ने प्रशासन पर दबाव बनाकर 28 जून को मेरे साथ-साथ मेरे बेटे कविन्द्र चौधरी व पत्नी कपूरा देवी का शस्त्र लाइसेन्स जिला मजिस्ट्रेट द्वारा निलंबित कर दिया गया, और शस्त्र निरस्त करने के पीछे जो तर्क दिया गया उसमें उनके ऊपर राजनैतिक तथा जन आन्दोलन के दौरान किये गये मुकदमों का हवाला था। उन्होंने कहा कि 2014 के लोक सभा के चुनाव में आचार संहिता उल्लंघन के अलावा भारत बन्द के दौरान धारा 144 के उल्लंघन तथा जिलाधिकारी कार्यालय पर गरीब किसानों के गन्ने के भुगतान तथा बेरोजगरी व महंगाई के सवाल पर सरकार को घेरने के लिए दिए गये धरने तथा 2017 में बिना पास के हर्रैया क्षेत्र में सभा करने का आरोप लगाया गया है। इन सभी मुकदमों में किसी भी प्रकार के शस्त्र के उल्लंघन का आरोप या फिर उसके दुरूपयोग या फिर शास्त्र के प्रदर्शन का आरोप अंकित नही है। जबकि उनके बेटे कवीन्द्र चौधरी पर वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में कप्तानगंज निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचन आयोग द्वारा केवल एक गाड़ी अतिरिक्त चलने से जुड़ा आचार संहिता का मामला दर्ज है। इसी आधार पर कविन्द चैधरी का शस्त्र निरस्त कर दिया गया। जबकि उनकी पत्नी कपूरा देवी के शस्त्र लाइसेन्स सिर्फ इसलिए निरस्त कर दिए गये कि वह राम प्रसाद चौधरी की पत्नी व कविन्द्र चौधरी की मां है। पूर्व मंत्री राम प्रसाद चौधरी ने आरोप लगाया कि जिन संस्तुतियों को आधार बनाकर जिला मजिस्ट्रेट ने सत्ता पक्ष के दबाव में उनके पूरे परिवार का शस्त्र लाइसेन्स निलंबित किया है उससे भी गम्भीर अभियोग सत्ता पक्ष के सांसद, विधायक पर पंजीकृत है। मगर जिला प्रशासन उनके विरूद्ध काई कार्यवाही नही कर उन्हें सिर्फ आरक्षण देने का काम कर रहा है। उन्होने कहा कि चूंकि वह लोकतन्त्र के साथ साथ आजाद भारत के नियम व कानून कायदे का पलन करने वाले व्यक्ति है लिहाजा शस्त्र निलम्बित होने के बाद उन्होने सभी शस्त्रो को नियमानुसार जमा करा दिया।

पूर्व मंत्री श्री चौधरी ने कहा कि करीब 4 दशक से अधिक लंबे राजनैतिक कैरियर में उनके तमाम राजनैतिक विरोधी भी है और यह सरकार खुद उनके साथ साथ उनके परिवार के विरूद्ध कोई गम्भीर साजिस रच कर जान माल का खतरा पहुंचा सकती है। लम्बे समय तक लोक सभा व विधानसभा का सदस्य होने के बाद भी यह सरकार उनकी सुरक्षा का इन्तजाम नही कर रही । जिससे यह प्रतीत होता है कि इस सरकार में वह व उनका परिवार सुरक्षित नही है। बावजूद वह सरकार के इस उत्पीड़न की कार्यवाहियों से डरने वाले नही है।

पूर्व मंत्री राम प्रसाद चौधरी ने सरकार पर आरोप लगाया कि जिला पंचायत व ब्लाक प्रमुख के चुनाव में जिस तरह से लोक तन्त्र की हत्या की गयी सत्ता के नशे में चूर लोगो ने महिलाओं व बुजुर्गो के साथ नंगा नाच किया। उसे जनता देख रही है। उनका यह उत्पीड़न विधानसभा चुनाव में काम आने वाला नही है। आने वाले 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता मौजूदा सरकार के उत्पीड़न आत्मक कार्यवाहियों से बिना डरे सत्ताधारी दल को मुहतोड़ जवाब देगें और गरीब गुर्वा, नौजवान किसान की आवाज, अखिलेश यादव के नेतृत्व मे उत्तर प्रदेश में एक बार फिर सपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का काम करेंगे।