Sunday, May 5, 2024
विचार/लेख

लड़कियों की साक्षरता दर को कम करने में समाजिक भेदभावना भी एक मुख्य कारण-गरिमा

आज जब हम महिला शिक्षा की बात करते है तो देखते है कि पिछले कई दशकों की परियोजनाओं] अभियानों और कई करोड़ों के निवेश के बाद भी ये देखा गया है कि उत्तर प्रदेश में महिला साक्षरता दर मात्र 50% ही है। यह साक्षरता दर ग्रामीण क्षेत्रों में तो और भी कम है। उदाहरण के लिए अगर हम उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के ग्रामीण इलाको को देखें तो वहाँ महिला साक्षरता दर अभी भी 46% ही है। इसका मतलब तो यही है कि यहाँ आधी से भी अधिक लड़कियाँ अपने मूल अधिकार शिक्षा का अधिकार से वंचित है।

जैसा कि हम सभी जानते है मार्च 2020 से हमारे देश (और विश्व के कई बड़े देश) करोना महामारी के संकेत से जूझ रहा है। जिसके चलते सरकार के द्धारा लॉकडाउन लगा दिया गया ताकि इसको और फैलने से रोका जा सके। इस लॉकडाउन में संसाधनों तक पहुँच की कमी (जैसे डिजिटल डिवाइस, इंटरनेट) और स्कूल, कॉलेज प्रशासन से खराब संचार व्यवस्था ने ग्रामीण क्षेत्रों में, खासकर लड़कियों के लिये शिक्षा की पहुँच को और भी खराब कर दिया। इस वर्तमान स्थिति में लड़कियों की शिक्षा पे उतना ध्यान नही दिया जा रहा है जितना कि पहले दिया जा रहा था। तो आज हम इसी विषय पर चर्चा करेंगें कि लड़कियों की साक्षरता दर की कमी के क्या कारण हो सकते है और उन कारणों को कैसे दूर किया जा सकता है।

अगर हम इन कारणों की विवेचना करें तो पायेंगे कि इन सबका मूल कारण गरीबी है। जिसकी वजह से माध्यमिक शिक्षा और उच्च शिक्षा उनकी पहुँच से बाहर होता जा रहा है। जैसे-जैसे क्षेत्र में निजी विद्यालयों और महाविद्यालयों की संख्या बढ़ी है तो साक्षरता दर में थोड़ा सुधार हुआ है। लेकिन इनका असर परिवार की आर्थिक व्यवस्था पर भी पड़ा है। इन सबके अलावा करोना महामारी की वजह से बहुत लोगों को अपने रोजगार, व्यवसाय और नौकरी से भी हाथ धोना पड़ा है। और कई बच्चे जिन्होने महामारी के दौरान अपने माँ-बाप को खो दिया। उन बच्चों पर अपनी शिक्षा को छोड़कर परिवार को पालने का दायित्व आ गया। शिक्षा से पलायन का एक कारण यह भी है।

सरकार की तरफ से कई सारे अभियान और लोकप्रिय नारे भी दिखाये गये जैसे- “सर्वशिक्षा अभियान”, ‘बेटी बचाओ’, बेटी पढ़ाओं”, लेकिन इन सब प्रयासों के बावजूद हमारे भारतीय समाज में बेटी की अपेक्षा बेटों को ही अधिक प्राथमिकता मिलती रही है। वो लड़कों को एक निवेश और लड़कियों को एक जिम्मेदारी के रूप में ही लेते है। विश्व स्तर पर ये देखा गया है कि लगभग 40% लड़कियाँ जो कि 15 वर्ष से कम की है। वो लड़कों की तुलना में ज्यादा समय घर के कामों में ही बिताती है। इस तरह लड़कियों की साक्षरता दर को कम करने में पारिवारिक और सामाजिक भेदभावना की भावना भी एक मुख्य कारण भी रहे है। और महामारी के बाद ये स्थिति और भी भयानक हो गयी है। हमे जल्दी ही इस स्थिति से निपटने के लिये कुछ करना होगा नही तो इसका असर हमारे बाद की पीढ़ीयों पर भी पडेगा।

ऐसा नही है कि हमारे ग्रामीण इलाकों में प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय नही है लेकिन ये विद्यालय अपने पाठ्यक्रम में सीमित विषयों को शामिल कर पाते है। इसलिये अपना मनपसंद विषय चुनने के लिये और इसके साथ-साथ उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिये लड़कियों को बस्ती, गोरखपुर जैसे नजदीकी शहर की यात्रा करनी पड़ती है। इन विद्यालयों की फीस के साथ-साथ कॉलेज आने जाने का किराया उनके माँ-बाप के लिए और भी मुश्किले पैदा कर देता है। 2-3 बच्चों वाले परिवार में ये स्थिति और भी असहनीय हो जाती है। इस तरह मँहगा आवागमन भी प्राथमिक कारणों में से एक है।
आज जब प्रशासन में स्कूल और कॉलेज खोलने की तैयारी चल रही है। तब आने वाला समय हम सभी के लिये (माता-पिता, स्कूल प्रशासन और सरकार) अवसर लेके आ रहा है। ये हम सभी के सामूहिक प्रयास से संभव हो सकता है जब हम लड़कियों को शिक्षा प्रणाली में वापस ला सकते है। आज वैश्विक स्तर पर ये प्रयास जारी है कि माध्यमिक स्तर की शिक्षा प्राप्त करके 420 मिलियन लोगों को गरीबी रेखा में रहने वाले लोगो की संख्या आधे से भी कम हो जायेगी।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जब हम एक लड़के को शिक्षित करते है तो वह उसी लड़के तक सीमित रह जाता है लेकिन जब हम एक लड़की को शिक्षित करते है तो वो न केवल अपने जीवन को सफल बनाती है बल्कि अपने परिवार, समाज, देश और आने वाली पीढि़यों को भी बदल देती है।

-गरिमा चौधरी
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गरिमा चौधरी, जो वर्तमान में कनाडा में रहती हैं, ने अपनी माँ की याद में “मोमा फॉर डॉटर्स – कैलाश चौधरी फाउंडेशन” शुरू किया, जिसे उन्होंने मदर्स डे 2021 पर खो दिया। उनकी पहल उनके पूर्वज घर बस्ती में वंचित लड़कियों के लिए शिक्षा का समर्थन करती है। इसके अतिरिक्त, गरिमा ग्रामीण उत्तर प्रदेश में लड़कियों के मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने और चर्चा करने के लिए विभिन्न सोशल मीडिया मंचों का उपयोग करती है।

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