Saturday, June 29, 2024
बस्ती मण्डल

पाशुपत योग वायु पुराण में वर्णित है योग का प्राचीन रहस्य – डॉ अर्चना

बस्ती। संवाद परिषद योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा प्रकोष्ठ द्वारा चल रहे वेबीनार के पांचवें दिन आज मंत्रोचार द्वारा दीप प्रज्वलन डॉ सुरेंद्र कुमार सैनी जी के कर कमलों द्वारा किया गया। उन्होंने राज योग ,भक्ति योग, चित् वृत्तियों की शुद्धि ,अंतः चतुष्टय को विस्तार से समझाया उन्होंने श्रीअरविंद योग की भी चर्चा की और बताया कि हमें ऐसा जीवन जीना है जिससे निरंतर हम उच्च चेतन शक्ति को प्राप्त कर सकें। उन्होंने थिंक फील एंड बीहेव को समझाते हुए सात्विक जीवन जीने की बात कही। विश्व संवाद परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगाचार्य डॉ रमेश चंद्रा ने गुरु के प्रति आभार व्यक्त करते हुए और सभी का अभिनंदन करते हुए गुरु के प्रति समर्पित एक भावपूर्ण गीत गाया जिससे लोगों के अंदर एक नई चेतना का जागरण हुआ। आज की मुख्य वक्ता उत्तर प्रदेश की अध्यक्षा बहन डॉ अर्चना दुबे जी पाशुपत योग के बारे में विस्तार से जानकारी दी उन्होंने बताया यह पाशुपत योग वायु पुराण में वर्णित है जो बहुत प्राचीन है और यहीं से योग का प्रादुर्भाव भी हुआ भगवान शिव योग के आदि देवता है। उन्होंने बताया महर्षि पतंजलि के अष्टांग योग की तरह पाशुपत योग में भी आठ अंग हैं जिसमें आसन, प्राणावरोध, प्रतिहार धारणा ,ध्यान ,समाधि ,यम एवं नियम है। इन अंगों की विस्तार में चर्चा की गई ।उन्होंने शैव संप्रदाय एवं नाथ संप्रदाय की चर्चा करते हुए शिव की कृपा से मत्स्यतेंद्र नाथ के जन्म से गोरक्षनाथ के जन्म तक की कथा का वर्णन किया। गुरु का बखान करते हुए उन्होंने एक्यूप्रेशर के जनक स्वर्गीय श्री माता प्रसाद खेमका जी की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि किस प्रकार उन्होंने अपने टूटे हुए पैर का एक्यूप्रेशर के द्वारा सफलतापूर्वक इलाज किया जिसको आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने सर्जरी के लिए बोल दिया था। इस क्षेत्र में स्वास्थ्य के प्रति असीम संभावनाएं हैं उन्होंने लोगों से अनुरोध किया कि अधिक से अधिक लोग इस विधा से जुड़े और इसको जन-जन तक पहुंचाएं और स्वास्थ्य लाभ कराएं तभी हम सारे रोगों से छुटकारा पा सकते हैं और और अपने भारत को सुख समृद्धि शाली और वैभवशाली बना सकते हैं। इसके बाद मंतोष जी ने कुछ आसनों का प्रदर्शन किया और बताया इसके माध्यम से हम कैसे स्वस्थ रह सकते हैं। दिल्ली प्रदेश की महासचिव बहन डॉ वंदना त्यागी जी का संचालन अत्यंत सराहनीय रहा आज उन्होंने महर्षि चरक द्वारा कथित एक स्वस्थ व्यक्त की परिभाषा बताते हुए उन्होंने कहा जिसके सारे दोष , सारी अग्निया,सारी धातुएं, मल मूत्र की की क्रिया समय से होती हो ,और जिसका मन ,आत्मा और इंद्रियां प्रसन्न हो वह आदमी स्वस्थ कहलाता है। वेबीनार बहुत ही सुंदर रहा और बहुत से लोगों ने इसमें जुड़कर अपना ज्ञानार्जन किया। कार्यक्रम के अंत में परिषद के राष्ट्रीय महासचिव डॉ नवीन सिंह ने सभी का आभार प्रकट किया अपने वक्तव्य में आज उन्होंने अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ श्याम पचौरी जी का अभिवादन करते हुए बताया की इस विधा से जुड़े हुए सभी चिकित्सकों को एकजुट होकर सरकार के समक्ष अपनी आवाज उठानी चाहिए इसलिए अधिक से अधिक लोग इस मुहिम से जुड़े।इस बेबनार में पूरे भारत से सतेंद्र, प्रीति बंसल, गिल, राजाराम प्रसाद डॉ सचिन डॉ प्रियांशु अखिलेश जी पूनम ,आशा , राम मोहन पाल एवं मंतोष जी, सरिता पटेल, किरण रावत , सूर्यनाथ प्रजापति, राजेश जी, सन्नो दुबे ,अभिषेक सीमा त्रिपाठी , सहित अनेकों लोग उपस्थित थे।