Saturday, May 18, 2024
बस्ती मण्डल

बहुत गहरी हैं अरब-इजरायल के बीच विवाद की जड़ें : डॉ. एस. के.पाण्डेय

अरब देशों और इजरायल के बीच विवाद नया नहीं है। इसकी जड़ें इतिहास में बहुत गहराई तक जाती हैं। आज जिस क्षेत्र को इजरायल एवं फिलिस्तीन के रूप में जाना जाता है, ये क्षेत्र विश्व के तीन प्रमुख धर्मावलंबियों – ईसाइयों, यहूदियों व मुसलमानों के लिए धार्मिक रुप से बहुत महत्वपूर्ण है। अरब-इजरायल विवाद की जड़ में धार्मिक कारक भी एक वजह हैं। ये बातें रक्षा मामलों के जानकार और सैन्य विज्ञान के आचार्य डॉ. एस के पांडेय ने कहीं। आचार्य नरेंद्र देव किसान पीजी कॉलेज बभनान गोंडा के सैन्य विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित वेबिनार को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यरुशलम को लेकर इन तीनों ही धर्मों के अनुयायियों के अपने-अपने दावे हैं। अरब-इजरायल के बीच विवाद के केंद्र में कहीं न कहीं धार्मिक आग्रह और दावे हैं। इसलिए 14 मई, 1948 को ब्रिटिश अधिकृत फिलिस्तीन क्षेत्र में जब यहूदियों ने इजरायल के नाम से एक नए देश की स्थापना का एलान किया, तो अरब देशों में इसकी तीखी प्रतिक्रिया हुई। कई अरब देशों ने मिलकर इजरायल पर हमला कर दिया। लेकिन अपने से कई गुना बड़े देशों की संयुक्त सेनाओं को इजरायल ने न केवल उस वक्त धूल चटाई, बल्कि इसके बाद तीन और युद्धों में भी अरब देशों को पराजय का सामना करना पड़ा। आखिरकार कुछ अरब देशों को ये मानना पड़ा कि इजरायल भले ही छोटा देश है लेकिन वो एक मजबूत सैन्य शक्ति है। उससे युद्ध करके उसे हराया नहीं जा सकता, लिहाजा मिस्र व जॉर्डन जैसे देशों ने बाद में इजरायल के साथ अपने संबंधों को सामान्य किया। लेकिन आज भी कई अरब मुल्क इजरायल को मान्यता नहीं देते और उसे दुनिया के नक्शे से मिटा देने का सपना देखते हैं। डॉ. पांडेय ने कहा कि इस पूरे विवाद में मानवता को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। एक ओर फिलिस्तीन शरणार्थी हैं जिनकी पीड़ा से पूरी दुनिया वाकिफ है। वहीं दूसरी ओर इजरायल है जो लंबे समय से इस्लामिक आतंकवाद का शिकार है। हाल में इजरायल और हमास के बीच जो लड़ाई छिड़ी, उसमें भी बड़ी संख्या में लोगों को जान गंवानी पड़ी है। फिलहाल दोनों पक्षों के बीच संघर्ष विराम हुआ है, लेकिन ये अस्थायी ही साबित होगा क्योंकि विवाद की मूल वजह अपनी जगह कायम है। जब तक इस मूल समस्या को नहीं सुलझाया जाता पश्चिम एशिया में समय-समय पर हिंसा व रक्तपात का ये खेल जारी रहेगा। सैन्य विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित इस वेबिनार में अपनी बात रखते हुए डॉ. राकेश कुमार ने कहा कि फिलिस्तीनी जनता लंबे समय से पीड़ित है, उनकी मांगों पर ध्यान दिया जाना चाहिए। इस वेबिनार में डॉ. स्मिता पांडेय, डॉ. सत्येंद्र कुमार, डॉ. चिदानंद तिवारी, डाॅ अमित त्रिपाठी, डॉ प्रेम कुमार पटवा, डॉ अरविंद कुमार, डॉ देवेंद्र कुमार पांडेय व डॉ विक्रम पांडेय, रवि कुमार कौशल, आदि विभाग के सभी छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे