Saturday, May 18, 2024
शिक्षा

पोषण पखवाड़ा के अंतर्गत जन जागरूकता अभियान-सोनिया

संतकबीरनगर।(कालिन्दी मिश्रा) राजकीय कन्या इंटर कॉलेज खलीलाबाद संतकबीरनगर की व्यायाम शिक्षिका सोनिया ने कहा कि हमारे जीवन में संतुलित आहार का होना बहुत जरूरी है।संतुलित आहार ना मिलने के कारण हम सब तमाम बीमारियों के चपेट में आ जाते हैं। सरकार द्वारा पोषण पखवाड़ा 16 मार्च से 31 मार्च तक मनाया जा रहा है।

जीवित प्राणी को जीवन यापन के लिए शुरू से ही पोषण की आवश्यकता होती है क्योंकि आहार के द्वारा ही हमें जीवित रहने और बढ़ने के लिए आवश्यक रासायनिक पदार्थ प्राप्त होते हैं । हमारा शरीर जिन क्रिया के द्वारा आहार में उपस्थित खाद्य पदार्थों का उपयोग करता है उसे पोषण कहते हैं। भोजन के पाचन, अवशोषण, संग्रहण व उपापचय की क्रियाओं के पश्चात शरीर द्वारा उसका उपयोग होता है । इससे शरीर के कई कार्य संपन्न होते हैं जैसे शरीर को ऊर्जा प्राप्त होती हैं , शरीर का वृद्धि और विकास होता है। शरीर के विभिन्न अंगों के कार्य सामान्य तथा सुचारू रूप से चलते हैं। पोषण सभी रासायनिक क्रियाओं का कुल योग होता है जिसके द्वारा एक जीवित प्राणी उसके शरीर के क्रियाकलापों को सामान्य रूप से चलाने और प्रत्येक कार्यों के विकास तथा पुनः निर्माण के लिए आवश्यक पोषक तत्व हमारे आहार में मूल तत्व के रूप में उपस्थित रहते हैं। पोषक तत्व मुख्य रूप से 6 प्रकार के होते हैं कार्बोस, वसा, प्रोटीन, खनिज लवण, विटामिंस और जल। अच्छे स्वास्थ्य के लिए आहार में इन सभी पोषक तत्वों की उपस्थिति उचित मात्रा में एवं सही अनुपात में होना आवश्यक है।

पोषक तत्वों का हमारे शरीर को कितनी मात्रा चाहिए यह कई बातों पर निर्भर करता है जैसे शारीरिक श्रम ,मौसम, वृद्धि , विकास, तनाव, लिंग बीमारी और आयु पोषक तत्व।
हमें अपने प्रतिदिन के आहार में आवश्यकतानुसार पोषण प्राप्त होते रहते हैं इसीलिए यह आवश्यक है कि हमारा आहार संतुलित हो। संतुलित आहार वह होता है जिनमें सभी पोषक तत्व उचित मात्रा एवं अनुपात में हो।
जिससे एक व्यक्ति की प्रतिदिन की न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके।

किशोर तथा किशोरी के लिए पोषण किशोरावस्था में पोषण संबंधी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए संतुलित आहार का निर्धारण करना आवश्यक होता है सामान्यता बालिकाओं की तुलना में बालकों को अधिक पोषण की आवश्यकता होती है क्योंकि बालकों का शारीरिक भार तथा लंबाई बालिकाओं की तुलना में अधिक होता है इस अवस्था में बालकों को लड़कियों से अधिक कैलोरीज, प्रोटीन, विटामिन बी कांप्लेक्स की आवश्यकता होती है। लड़कों को लड़कियों से अधिक लौह तत्व की आवश्यकता होती है इसी कारण बालकों में लौह का अवशोषण प्रतिशता का कम होना माना जाता है ।
जो लड़कियों में लगभग 5% होता है यह पोषक तत्व शारीरिक वृद्धि तथा उपापचय क्रिया में विशेष रूप से सहायक होते हैं किशोरावस्था में बालिकाओं को मासिक स्राव होना प्रारंभ हो जाता है इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए भी आहार आयोजन में विभिन्न पोषक तत्वों की अपेक्षा लवण की अधिकता को प्राथमिकता देना अनिवार्य है इसके अतिरिक्त किशोरियों आहार में प्रोटीन ,विटामिन बी, सी, डी व कैल्शियम की उचित मात्रा का होना आवश्यक है।