Thursday, May 9, 2024
बस्ती मण्डल

ब्रम्ह सम्बन्ध होने पर जगत के बन्धन टूट जाते हैं

बस्ती । ब्रम्ह सम्बन्ध होने पर जगत के बन्धन टूट जाते हैं। यशोदा के गोद में खेलते हुये बाल कृष्ण का गोपियां दही से अभिषेक करने लगी। आनन्द में पागल गोपियां कन्हैया का जय-जयकार कर रही है। जो सदैव आनन्द में रहे वही नन्द हैं। ईश्वर से मिलन होने पर जीव आनन्द से झूम उठता है। उत्सव तो हृदय में होना चाहिये। आजकल लोग शरीर की अपेक्षा मन से अधिक पाप करते हैं। शरीर को मथुरा बनाओ तो आनन्द आ जाय। यह सद् विचार कथा व्यास उत्कर्ष पाण्डेय ने महसो पश्चिम टोला में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा में भगवान कृष्ण महिमा का गान करते हुये व्यक्त किया।
भरत चरित्र, अजामिल, भक्त प्रहलाद, धर्म के निरूपण, वृत्रासुर के चरित्र राजा रहूगण को भरत का उपदेश सहित अनेक प्रसंगो का विस्तार से वर्णन करते हुये महात्मा जी ने कहा कि जिसका शरीर सुन्दर है किन्तु हृदय विष से भरा हुआ है वही पूतना है। पूतना का विनाश होने पर ही कृष्ण मिलन हो पाता है। जीव भगवान की शरण ले तो उसके सभी पाप दूर हो जाते है। मनुष्य एक दूसरे को देव रूप मानने लगें तो कलयुग, सतयुग बन सकता है। भजन के लिये अनुकूल समय की प्रतीक्षा न करो, कोई भी क्षण भजन के लिये अनुकूल है। प्रत्येक क्षण को सुधारोगे तो मृत्यु भी सुधरेगी।
मुख्य रूप से ओम प्रकाश क्रान्तिकारी, हनुमान निषाद, शान्ती देवी, राज निषाद, पूनम निषाद, विजय लक्ष्मी निषाद, श्रीकान्ती निषाद, लक्ष्मी, ऊषा, तारा, सावित्री के साथ ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु श्रोता शामिल रहे।