Saturday, May 18, 2024
बस्ती मण्डल

भक्ति युक्त ज्ञानी मौन रहकर साधना करता है-राम अशीष उपाध्याय

सन्तकबीरनगर।(कालिन्दी मिश्रा) खलीलाबाद में विकास खंड सेमरियावा के अंतर्गत उमिला गांव में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन पधारे कथा प्रवक्ता आचार्य राम अशीष उपाध्याय ने कहा की मनुष्य के संग में रहकर मनुष्य बन पाना सरल है। किंतु ब्रह्मनिष्ट हो पाना बड़ा कठिन है। इसलिए मनुष्य को हमेशा सत्संग में ही रहने का प्रयास करना चाहिए। संसार वृक्ष के बीज हैं ।पाप और पुण्य वासना मूल है। सत्वगुण और तमोगुण तने हैं। इंद्रियां और मन डालियां हैं। विषय रस है सुख और दुख फल है। विषयों में फंसा रहने वाला भोगी दुखी होता है। विवेकी परमहंस को योगी कहते हैं। जो सुख भोगते हैं उद्धव जी ने पूछा।मनुष्य जानता है कि विषय दुखदाई है। फिर उन्हें भोगने की इच्छा वह क्यों करता है विषय मन की ओर जाते हैं ।और मन विषय की ओर। रजोगुण ही मनुष्य को विषय में फंसाता है पहले मन विषयों की ओर जाता है। और फिर उन विषयों का आकार धारण करके विषयों को अपने में बसा लेता है। मन विषय आकार हो जाता है मन स्वयं विषय मुक्त बनकर जीव को सताता है ।विषयों का चिंतन प्रभु की भक्ति में बाधक है।
बंधन और मोक्ष के तत्व का ज्ञाता ही पंडित है।और ग्रंथों में लिखे हुए सिद्धांतों को जीवन में उतारकर भक्ति में जीवन जीने वाला उत्तम ज्ञानी है। जो इंद्रियों को अपने अधीन कर के सांसारिक विषयों में अनासक्त रहता है।ज्ञानी और तपस्वी सुदामा तो घर बैठे ही भगवान का दर्शन कर लेते थे। किंतु पत्नी के आग्रह के कारण द्वारिका जाने को तैयार हुए ।उन्होंने सोचा की पत्नी हर बात मान लेती है तो मुझे भी उसकी बात माननी चाहिए। द्वारिकाधीश कृष्ण दौड़ते हुए सुदामा से मिलने के लिए आए हृदय से लगाकर के सुदामा के सभी दुखों को भगवान ने एक क्षण में दूर किया। इस अवसर पर सुदामा जी की दिव्य झांकी का दर्शन कराया गया ।परीक्षित के मोक्ष की कथा का वर्णन किया। इस अवसर पर मुख्य जजमान इंजीनियर चंद्रशेखर राय माधव राय इंजीनियर वीरेंद्र राय , रविंदर राय राजेश राय, राहुल राय ,गौरव राय ,सिद्धार्थ राय चंद्रमौली राय ,विजय राय , सत्यप्रकास पाठक ,बैजनाथ पाठक, सहित तमाम श्रोता मौजूद रहे।